cy520520 Publish time 2025-12-5 14:47:24

Putin in India: पीएम मोदी ने पुतिन को रूसी भाषा में भेंट की गीता, भारत-रूस शिखर वार्ता में आज कई बड़ी घोषणाओं की उम्मीद

Vladimir Putin India visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (5 दिसंबर) को कहा कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रूसी भाषा में गीता की एक कॉपी भेंट की। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में कहा, “राष्ट्रपति पुतिन को रूसी भाषा में गीता की एक प्रति भेंट की। गीता की शिक्षाएं दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरणा देती हैं।“ PM मोदी ने पुतिन के लिए 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर एक रात्रिभोज का आयोजन किया था। पुतिन गुरुवार शाम को करीब 27 घंटे के दौरे पर नई दिल्ली पहुंचे। पुतिन के भारत पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।



यह दौरा करीब आठ दशक पुरानी भारत-रूस साझेदारी को और मजबूत करने वाला है। भारत इस दौरे को कितनी अहमियत दे रहा है, यह इस बात से पता चलता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने खुद पालम एयरपोर्ट पर गले लगाकर पुतिन का स्वागत किया। चार साल के अंतराल के बाद भारत आगमन पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।





दोनों नेता एयरपोर्ट से पीएम मोदी की कार में निकले और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पहुंचे। करीब तीन महीने पहले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के बाद चीन के शहर तियानजिन में उन्होंने एक ही कार में साथ यात्रा की थी।





पीएम मोदी ने पुतिन को फिर बताया \“दोस्त\“





प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन का भारत में स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। आज शाम और कल उनके साथ होने वाली बातचीत को लेकर आशान्वित हूं। भारत-रूस मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है जिससे दोनों देशों के लोगों को बहुत लाभ हुआ है।“ PM मोदी ने गुरुवार शाम को रूसी राष्ट्रपति के लिए एक निजी रात्रिभोज का आयोजन किया। पिछले साल जुलाई में पुतिन ने भी प्रधानमंत्री की मॉस्को यात्रा के दौरान उनका इसी तरह का सत्कार किया था। इस अवसर पर पीएम मोदी के आधिकारिक आवास को रोशनी से जगमग किया गया था और फूलों से सजाया गया था।





रात्रिभोज के दौरान दोनों नेताओं के बीच होने वाली बातचीत से शुक्रवार को होने वाली 23वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए माहौल तैयार होने की उम्मीद है। इसमें दोनों मित्र देशों के संबंधों को और व्यापक बनाने के लिए कई ठोस परिणाम सामने आने की उम्मीद है। रूसी नेता का नई दिल्ली का यह दौरा इसलिए और भी अहम हो गया है क्योंकि यह भारत-अमेरिका संबंधों में तेजी से आ रही गिरावट की पृष्ठभूमि में हो रहा है। बैठक के बाद दोनों पक्षों के बीच व्यापार के क्षेत्रों सहित कई समझौते होने की उम्मीद है।




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राष्ट्रपति भवन में किया जाएगा औपचारिक स्वागत





शुक्रवार को पुतिन का राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया जाएगा। इस दौरान तीनों सेनाओं द्वारा उन्हें सलामी दिया जाएगा। उसके बाद वह महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राजघाट जाएंगे। फिर दोनों नेताओं की बैठक हैदराबाद हाउस में होगी। पीएम मोदी और पुतिन भारत मंडपम में फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) और रोसकांग्रेस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक व्यापारिक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। शाम को पुतिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा उनके सम्मान में आयोजित राजकीय भोज में शामिल होंगे। रूसी नेता के शुक्रवार रात लगभग 9 बजे भारत से रवाना होने की संभावना है।





भारत-रूस शिखर वार्ता से काफी उम्मीद





शिखर वार्ता में उम्मीद है कि भारत रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदने से बढ़ते व्यापार घाटे को दुरुस्त करने पर जोर देगा। रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंध पिछले दो दशकों में संभवतः सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। अमेरिका ने भारतीय सामान पर भारी 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिसमें रूस से कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत टैक्स भी शामिल है।





पुतिन की इस यात्रा का व्यापक उद्देश्य खासकर ऐसे समय में भारत-रूस सामरिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना है। जब भारत के अमेरिका के साथ संबंधों में तीव्र गिरावट आई है। शिखर वार्ता में भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर अमेरिकी प्रतिबंध के असर पर चर्चा होने की संभावना है।





बैठक में उम्मीद है कि पुतिन पीएम मोदी को यूक्रेन विवाद को खत्म करने के लिए अमेरिका की नई कोशिशों के बारे में बताएंगे। भारत लगातार यह कहता रहा है कि बातचीत और कूटनीति ही युद्ध खत्म करने का एकमात्र तरीका है।





पीएम मोदी-पुतिन वार्ता के बाद दोनों पक्षों के बीच कई समझौते होने की उम्मीद है। इसमें एक समझौता भारतीय कामगारों के रूस आने-जाने को आसान बनाने और अन्य (समझौता) व्यापक रक्षा सहयोग के ढांचे के तहत साजो सामान के समर्थन से संबंधित है।





ऐसा माना जा रहा है कि व्यापार क्षेत्र के अंतर्गत फार्मा, कृषि, खाद्य उत्पादों और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। यह कदम रूस के पक्ष में बढ़ते व्यापार घाटे को लेकर भारत की चिंताओं के बीच उठाया गया है।





भारत-रूस के बीच कारोबार





भारत रूस से सालाना लगभग 65 अरब अमेरिकी डॉलर का सामान और सेवाएं खरीदता है। जबकि रूस भारत से लगभग पांच अरब डालर का आयात करता है। अधिकारियों ने कहा कि भारत उर्वरक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। रूस सालाना भारत को 30 से 40 लाख टन उर्वरक की आपूर्ति करता है। भारतीय और रूसी पक्ष यूरेशियन आर्थिक संघ के साथ भारत के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर भी चर्चा कर सकते हैं।





रक्षा सहयोग का चर्चा





शिखर सम्मेलन से पहले दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने गुरुवार को व्यापक चर्चा की। इसमें रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम और अन्य महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर की अतिरिक्त खेप खरीदने की भारत की योजना पर फोकस रहा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान S-400 मिसाइल सिस्टम बहुत प्रभावी साबित हुई। अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए पांच अरब अमेरीकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए।





पेस्कोव ने कहा कि रूस द्वारा भारत को SU-57 लड़ाकू विमान आपूर्ति करने की संभावना पर भी चर्चा हो सकती है। भारत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की एक खेप खरीदने की प्रक्रिया में है। दसॉ एविएशन का राफेल, लॉकहीड मार्टिन का एफ-21, बोइंग का F/ए-18 और यूरोफाइटर टाइफून मुख्य दावेदार हैं। बैठक में द्विपक्षीय ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर भी प्रमुखता से चर्चा होने की उम्मीद है। माना जाता है कि रूस ने भारत को कच्चे तेल की खरीद पर अतिरिक्त छूट की पेशकश की है।





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भारत और रूस के बीच एक व्यवस्था है जिसके तहत भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा के लिए सालाना एक शिखर बैठक आयोजित करते हैं। अब तक, भारत और रूस में बारी-बारी से 22 वार्षिक शिखर बैठकें हो चुकी हैं। रूसी राष्ट्रपति ने आखिरी बार 2021 में नयी दिल्ली का दौरा किया था। पिछले साल जुलाई में मोदी वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए मॉस्को गए थे। रूस भारत के लिए एक ऐसा साझेदार रहा है जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है।
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