वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा-टोबैको क्षेत्र में काफी टैक्स की चोरी है, 40% जीएसटी भी कम है
लोकसभा में 5 दिसंबर को हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, 2025 पारित हो गया। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि नई लेवी सिर्फ तंबाकू और पान मसाला जैसे डिमेरिट गुड्स पर लगाई गई है। उन्होंने डिफेंस पर सरकार के निरंतर खर्च को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि पैसे का इस्तेमाल डिफेंस और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे जरूरी क्षेत्रों के लिए किया जा सकता है।सेस के पैसे का इस्तेमाल सिर्फ दो मकसद के लिए होगा
वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman ने कहा, “मुझे डिफेंस के लिए पैसे का इंतजाम करना पड़ता है। रेवेन्यू जुटाना और देश का ख्याल रखना हर सरकार का कर्तव्य है।“ उन्होंने कहा कि सेस से जो पैसा आएगा उसका इस्तेमाल सिर्फ दो उद्देश्यों-लोगों के स्वास्थ्य और देश की सुरक्षा के लिए होगा। सेना की तैयारियों को मजबूत करने में काफी समय लगा है। इसके लिए डिफेंस सेक्टर को लगातार फंड उपलब्ध कराना जरूरी है।
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ससंद के पास टैक्स लगाने का पूरा अधिकार
उन्होंने कहा कि संसद के पास टैक्स लगाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा, “खास रेट्स से सेस लगाने का नोटिफिकेशन संसद में पेश किया गया है। संसद से बड़ा कोई नहीं है।“ तकनीकी पहलुओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि टोबैको सेक्टर में टैक्स की चोरी होती है। इसलिए जीएसटी का मौजूदा 40 फीसदी रेट भी अपर्याप्त है। उन्होंने उत्पादन क्षमता-आधारित लेवी को सही बताते हुए कहा कि यह कोई नया मानक नहीं है बल्कि इसकी व्यवस्था पहले से है।
अभी पान मसाला पर प्रभावी टैक्स 88 फीसदी
सीतारमण ने कहा, “एक्चु्अल प्रोडक्शन पर टैक्स लगाना मुश्किल था। मशीन-आधारित ड्यूटी नई नहीं है।“ खासकर पान मसाला के बारे में उन्होंने नए वेरिएंट्स शुरू करने की इंडस्ट्री की चालाकी का उल्लेख किया। उन्होंने ऐसे प्रोडक्ट्स पर हर बार संसद की मंजूरी के बगैर लेवी लगाने की जरूरत पर जोर दिया। अभी पान मसाला पर प्रभावी टैक्स 88 फीसदी है। लेकिन, एक बार कंपनसेशन सेस के एक्सपायर हो जाने और जीएसटी का रेट 40 फीसदी होने से टैक्स घटने को लेकर चिंता है।
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जीएसटी काउंसिल के अधिकार क्षेत्र में सेंध लगाने की मंशा नहीं
उन्होंने कहा, “हम इसके सस्ता होने और रेवेन्यू घटने की इजाजत नहीं दे सकते।“ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जीएसटी काउंसिल के अधिकार क्षेत्र में सेंध लगाने की कोई मंशा नहीं है। उन्होंने उन आलोचनाओं को खारिज किया कि इस सेस की वजह से जीएसटी के सिद्धांतों को ठेस लगेगा। उन्होंने कहा, “जीएसटी के अधिकार क्षेत्र में दाखिल होने की कोई मंशा नहीं है। यह जीएसटी काउंसिल के पास है।“ उन्होंने यह भी कहा कि टोबैको के एडवर्टाइजमेंट नए सेस के तहत नहीं आएंगे।
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