Chikheang Publish time 2025-12-6 14:07:24

यूपीसीएल: 1,000 करोड़ के नुकसान का वास्ता, चुना बिजली दर बढ़ाने का रास्ता

/file/upload/2025/12/1302300605382809451.webp

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण



अश्वनी त्रिपाठी, देहरादून। एक हजार करोड़ की बिजली चोरी व अन्य हानियों को रोकने में नाकाम उत्तराखंड पावर कारपोरेशन (यूपीसीएल) ने अपना घाटा पूरा करने के लिए बिजली बिल दर में बढ़ोतरी का रास्ता निकाल लिया है। यूपीसीएल बिजली दरों को 16.23 प्रतिशत बढ़ाने जा रहा है, ऐसा करने से यूपीसीएल को करीब 1300 करोड़ का लाभ होगा। इससे यूपीसीएल एक हजार करोड़ के घाटे की पूर्ति के साथ ही अतिरिक्त कमाई भी हो सकेगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यूपीसीएल ने पिछले साल भी एक अप्रैल 2025 से लागू नई दरों में 12.01 प्रतिशत बढ़ाेतरी की मांग की थी, तब उत्तराखंड विद्य़ुत नियामक आयोग ने 5.62 प्रतिशत की बढ़ोतरी ही स्वीकार की थी। पिछले तीन वर्षों में राज्य में बिजली दरों में लगभग 16 प्रतिशत बढ़ोतरी की जा चुकी है। अब यूपीसीएल ने सिर्फ नए वित्तीय वर्ष में ही 16.23 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पेश किया है।

इसको लेकर उपभोक्ता संगठनों में नाराजगी है। उनका कहना है, यूपीसीएल बिजली चोरी व अन्य प्रकार की हानियों को रोकने के बजाए बिजली दरों में इजाफा कर नुकसान की भरपाई करना चाहता है। बिजली दरों में 16.23 प्रतिशत बढ़ोतरी का सीधा असर राज्य के लगभग 27 लाख उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा। उधर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरों में पिछले छह साल से बढ़ोतरी नहीं की गई है।

सात शहरों में 27 से 69 प्रतिशत तक लाइन लास
बिजली चोरी व अन्य नुकसानों को रोकने में नाकाम यूपीसीएल काे यूईआरसी लगातार चेताता रहा है। नियामक आयोग एटीएंडसी लास, ट्रांसफर लास समेत बिजली चोरी को लेकर कई बार यूपीसीएल को अलर्ट कर चुका है। यूपीसीएल को बिजली चोरी समेत सर्वाधिक ट्रांसमिशन घाटा लक्सर, लंढौरा, मंगलौर, सितारगंज, खटीमा, गदरपुर, जसपुर में हो रहा है।

यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में 15 दिवंगत पत्रकारों को मिलेगी पांच-पांच लाख की सहायता, बैठक में लिया गया फैसला

इन शहरों का एटीएंडसी लास राज्य के अन्य 114 शहरों पर भारी पड़ रहा है। इन सात शहरों में 27 से 69 प्रतिशत तक लाइन लास हो रहा है। इसमें सबसे बड़ी वजह बिजली चोरी और बिलिंग की बकाया राशि का भुगतान न करना है। इन शहरों में सबसे अधिक पावर डिस्ट्रीब्यूशन लास भी हो रहा है। इसका सीधा असर है कि जनता को महंगी बिजली मिल रही है।

लाइन लास का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाल सकते
लाइन लास वर्ष 2010–11 में 21.61 प्रतिशत से घटकर 13.89 प्रतिशत तो हुआ है, पर नुकसान अब भी कम नहीं है। बिजली चोरी सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। बिजली चोरी और लाइन लास मिलाकर सालाना 1,000 करोड़ तक नुकसान दर्ज किया जा रहा है। यूईआरसी सख्त चेतावनी दे चुका है कि 13.5 प्रतिशत से ज्यादा लाइन लास का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। यूपीसीएल को फील्ड मानीटरिंग मजबूत करने के निर्देश कई बार दिए जा चुके हैं।

यूपीसीएल का नुकसान-

[*]तकनीकी एवं वाणिज्यिक हानि: 14.64%
[*]संप्रेषण एवं वितरण हानि: 13.89%
[*]राष्ट्रीय औसत: 9 से 10%
Pages: [1]
View full version: यूपीसीएल: 1,000 करोड़ के नुकसान का वास्ता, चुना बिजली दर बढ़ाने का रास्ता

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com