Chikheang Publish time 2025-12-7 01:38:14

देसी दूल्हा विदेशी दुल्हन, Mexico की एस्मैराल्डा को भाए पुरुषार्थ के संस्कार; मैनपुरी आकर लिए सात फेरे

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भारतीय रीति रिवाज से विवाह करते मैनपुरी के पुरुषार्थ और मेक्सिको की एस्मैराल्डा।



सुनील मिश्रा, बेवर (मैनपुरी)। किसी ने सच ही कहा है कि प्रेम बंधनों को नहीं मानता है। प्रेम का ऐसा ही अनूठा उदाहरण है कस्बा बेवर के रसूलाबाद निवासी पुरुषार्थ और मैक्सिको सिटी निवासी एस्मैराल्डा की प्रेम कहानी।

तीन वर्ष जर्मनी में एक सेमीनार के दौरान हुई मुलाकात में भारतीय संस्कृति और संस्कारित पुरुषार्थ के अभिवादन ने ऐसा असर छोड़ा कि एस्मैराल्डा उन्हें दिल दे बैठीं। प्यार परवान चढ़ा। एक-दूसरे को अच्छी तरह समझने के बाद दोनों ने वैवाहिक बंधन में बंधने का निर्णय किया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

परिवारों की आपसी सहमति हुई तो मैक्सिको सिटी से कन्या व रिश्तेदारों के साथ स्वजन कस्बा बेवर पहुंच गए। त्रिकुटा मैरिज होम में मंडप सजा, शहनाई बजी और वर-वधु ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच अग्नि के सात फेर लेकर एक-दूजे को जीवनसाथी चुना।

शनिवार को कस्बा बेवर के गांव रसूलाबाद में विवाह की रस्म तो सामान्य ही थीं, लेकिन सात समंदर पार से आई दुल्हन और उसके स्वजन सभी के लिए अनमोल रहे। गांव से ही आरंभिक शिक्षा प्राप्त कर पुरुषार्थ एचबीटीआइ कानपुर से इंजीनियरिंग की।

गुरुग्राम में मारुति लिमिटेड में इंजीनियर बन गए। इसके बाद एमटेक करने के लिए जर्मनी चले गए। यहां 15 दिन के एक सेमीनार में उनकी मुलाकात मैक्सिको सिटी निवासी एस्मैराल्डा इजाबैल से हुई।

भारतीय संस्कृति के अभिवादन और परंपरा से प्रेरित एस्मैराल्डा ने पुरुषार्थ को दिल दे दिया। दोनों एक-दूसरे को समय दिया और प्यार बढ़ता रहा। 15 दिन के अस्थायी वीजा पर जर्मनी गईं एस्मैराल्डा ने पुरुषार्थ से विवाह प्रस्ताव रख दिया।

पुरुषार्थ भी राजी हो गए, लेकिन स्वजन की अनुमति से विवाह गांव में ही करने का निर्णय लिया। दोनों के स्वजन रिश्ते के लिए राजी हो गए। दोनों परिवारों ने कुंडली मिलान कराया।

निर्धारित मुहूर्त के अनुसार शनिवार को एस्मैराल्डा ने अपने स्वजन की उपस्थिति में हिंदू परंपरा के अनुसार फेरे लिए और विवाह बंधन में बंध गईं।

कन्या की मां एस्टेला इजाबैल के अतिरिक्त मैक्सिको के लारेंज फियोरे उनकी पत्नी युठित फियोरे, मैराटिल्ड आशौफ भी विवाह बंधन के साक्षी बने।


प्रेम के बंधन में टूटे धार्मिक धागे

पुरुषार्थ का परिवार सनातन संस्कृति को मानने वाला है। सुबह-शाम पूजा-अर्चना का क्रम चलता है। वहीं एस्मैराल्डा मिशनरी संस्कृति में पली-बढ़ी हैं।

दोनों परिवारों के बीच एक-दूसरे की संस्कृति को अपनाना आसान तो नहीं था, लेकिन आपसी सहमति और समर्पण की भावना ने जातीय और धार्मिक भावना के धागों को भी तोड़ डाला।
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