उत्तराखंड में 48 जातियों को अनुसूचित जातियों में किया था शामिल, अब हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
/file/upload/2025/12/3888018195812134599.webpनैनीताल हाई कोर्ट। आर्काइव
जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से 2013 एवं 2014 में 48 गैर अनुसूचित जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार के गृह, कानून तथा समाज कल्याण व आधिकारिता के सचिव, उत्तराखंड के प्रमुख सचिव समाज कल्याण को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई को छह जनवरी की तिथि नियत की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में 5 दिसंबर को हरिद्वार निवासी मीनू की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें 2013- 14 में तत्कालीन प्रमुख सचिव समाज कल्याण की ओर से जारी शासनादेश को चुनौती दी गई है। कहा कि संविधान के अनुच्छेद-341 के अनुसार किसी भी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने का अधिकार राष्ट्रपति व संसद को है। याचिका में उच्च न्यायालय से राज्य में संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने की गुहार लगाई है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि 26 जनवरी 2016 को जारी राजाज्ञा के अनुपालन में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विशेष न्यायालयों की भी स्थापना नहीं की गई है।
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