ट्रैफिक समाधान से जियो मैपिंग तक जमशेदपुर के विकास में अमिट छाप छोड़ गए रितुराज सिन्हा
/file/upload/2025/12/8514997712270152299.webpरितुराज सिन्हा की फाइल फाेटो।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। टाटा स्टील यूआईएसएल (पूर्व में जुस्को) के एमडी रहे रितुराज सिन्हा के आकस्मिक निधन से कॉरपोरेट जगत और जमशेदपुर शहर में शोक की लहर है। उनकी कार्यशैली, दूरदृष्टि और नवाचार के कारण शहर में कई महत्वपूर्ण बदलाव संभव हुए।
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स्कूलों की छुट्टी का समय बदलवाकर दिलाई ट्रैफिक जाम से मुक्ति
बिष्टुपुर और साकची की सड़कों पर स्कूल छुट्टी के समय लगने वाले रोजाना जाम को खत्म करने के लिए रितुराज सिन्हा ने एक अनोखी पहल शुरू की। उन्होंने शहर के सभी स्कूल प्रबंधन से संवाद कर छुट्टी के समय में 15-15 मिनट का अंतर करवाया। इससे एक स्कूल की छुट्टी के बाद दूसरा स्कूल खुलता और बच्चे आसानी से घर के लिए रवाना हो जाते। उनकी इस पहल की पूरे शहर में सराहना हुई।
शहर की जियो मैपिंग, स्मार्ट प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम
एमडी रहते हुए उन्होंने पूरे जमशेदपुर शहर की जियो मैपिंग कराई। इससे कमांड सेंटर में बैठकर ही बिजली, पानी, सीवरेज लाइनों और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर का सटीक लोकेशन देखा जा सकता था। सिन्हा की इस पहल ने सभी कार्यों की गति बढ़ाई और बाधाओं को काफी हद तक कम किया।
उनके नेतृत्व में पैकेज्ड सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, शहर के कई इलाकों में चौड़ी सड़कें और अवैध अतिक्रमण पर रोक जैसी कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां दर्ज हुईं। कॉरपोरेट सर्विसेज के चीफ रहते हुए वे हमेशा फील्ड में सक्रिय रहे और टीम को लक्ष्य आधारित काम करने के लिए प्रेरित करते रहे।
1990 में टाटा स्टील से जुड़ा, बन गए कंपनी के एमडी रितुराज सिन्हा ने बीआईटी सिंदरी से इंजीनियरिंग करने के बाद 1990 में टाटा स्टील में ग्रेजुएट ट्रेनी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। 1992 में एसएनटीआई में प्रशिक्षण पूरा कर वे फाउंड्री विभाग में नियुक्त हुए। इसके बाद उन्होंने विभिन्न पदों पर काम करते हुए अपनी प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता साबित की। काम के साथ-साथ उन्होंने XLRI से मैनेजमेंट की पढ़ाई भी पूरी की।
तीन दशकों से अधिक की सेवा अवधि में उन्होंने अपने प्रोफेशनलिज्म, ऊर्जा और नवाचार से कंपनी और शहर दोनों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। रितुराज सिन्हा का निधन जमशेदपुर के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी दूरदृष्टि, विनम्रता और नेतृत्व प्रेरणा देती रहेगी।
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