cy520520 Publish time 2025-12-8 16:08:28

बच्चों के लिए ऐसा लिटरेचर बनाना ज़रूरी है जो क्वालिटी और आज की ज़रूरतों के हिसाब से हो

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पटना कॉलेज में उर्दू काउंसिल का साहित्यिक समारोह, नई किताबों का लॉन्च



जागरण संवाददाता, पटना। नेशनल काउंसिल फॉर द प्रमोशन ऑफ़ उर्दू लैंग्वेज (NCPUL) द्वारा पटना कॉलेज के सेमिनार हॉल में बुधवार को \“बच्चों का लिटरेचर बनाना, चुनौतियाँ और संभावनाएं\“ विषय पर एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में उर्दू में बच्चों के साहित्य को नई दिशा देने पर चर्चा हुई और काउंसिल द्वारा प्रकाशित चार नई किताबों का विमोचन किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कार्यक्रम की शुरुआत NCPUL के डायरेक्टर डॉ. शम्स इक़बाल के उद्बोधन से हुई। उन्होंने कहा कि बच्चों का साहित्य केवल कहानी का माध्यम नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के बौद्धिक और नैतिक विकास की मजबूत नींव है।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि बच्चों के लिए ऐसा साहित्य तैयार किया जाए जो मनोरंजक होने के साथ ज्ञानवर्धक भी हो, ताकि बच्चे पढ़ने की ओर स्वाभाविक रूप से आकर्षित हों।

उन्होंने कहा, \“आज के समय में सिर्फ़ उपदेश देने वाली किताबें बच्चों को प्रेरित नहीं कर सकतीं। हमें ऐसा साहित्य बनाना होगा जो उनकी रचनात्मक सोच, इनोवेशन और क्रिटिकल थिंकिंग को विकसित करे।\“

प्रसिद्ध कवि मुज़फ़्फ़र अब्दाली, जिन्होंने अध्यक्षीय भाषण दिया, ने कहा कि बच्चों का साहित्य बच्चों के मानसिक संसार को गढ़ने का महत्वपूर्ण माध्यम है।

उन्होंने कहा कि कहानियां ऐसी हों जो बच्चों के मन में कल्पनाशीलता जगाएं और उन्हें किताबों से दोस्ती करना सिखाएं।

मुख्य अतिथि और बिहार विधान परिषद के सदस्य अफ़ाक़ अहमद ने साहित्य को किसी देश की सांस्कृतिक पहचान बताते हुए कहा कि बच्चों का साहित्य मजबूत राष्ट्र की नींव तैयार करता है।

उन्होंने उर्दू काउंसिल के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि \“उर्दू में गुणवत्तापूर्ण बच्चों का साहित्य तैयार करना समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।\“

कहानीकार ज़किया मशहदी ने बच्चों की मनोविज्ञान समझते हुए साहित्य लिखने को सबसे बड़ी कला बताया। उन्होंने कहा कि \“जितनी रोचक, चित्रों से सजी और सरल भाषा वाली किताबें होंगी, बच्चे उतनी ही रूचि से पढ़ेंगे।\“


रिसर्चर प्रो. एजाज अली अरशद ने कहा कि बच्चों के साहित्य को आधुनिक ज़रूरतों के हिसाब से नया रूप देना होगा ताकि उर्दू भाषा घरों और सामाजिक जीवन में फिर से जीवंत हो सके।


लेखक मुश्ताक अहमद नूरी ने बच्चों की मैगज़ीन और नियमित लेखन को बढ़ावा देने की ज़रूरत पर बल दिया।

कार्यक्रम में काउंसिल द्वारा प्रकाशित चार नई किताबें लॉन्च की गईं

[*]मैं ही मालिक मैं ही नोकर – प्रो. एजाज अली अरशद
[*]एक सच मच के राजकुमार की कहानी – ज़किया मशहदी
[*]कईन कईन – मुश्ताक अहमद नूरी
[*]इंक़लाब की आवाज़: हसरत मोहानी – डॉ. कासिम खुर्शीद


कार्यक्रम का संचालन डॉ. शादाब शमीम ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नोमान कैसर ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, शिक्षक, छात्र और उर्दू प्रेमी मौजूद रहे।
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