LHC0088 Publish time 2025-12-8 17:08:58

एयरलाइन कंपनियां घटी तो बढ़ा इंडिगो का एकाधिकार, 40 प्रतिशत तक बढ़ गया कई शहरों का किराया

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निशांत यादव, लखनऊ। : दो साल पहले तक लखनऊ के आसमान पर इंडिगो एयरलाइन को अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी गो एयर से कड़ी स्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था। इससे एक तरफ जहां इंडिगो एयरलाइन न्यूनतम किराए को बढ़ाने से बच रही थी, वहीं यात्रियों की संख्या बढ़ाने का दबाव भी उस पर था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गो एयरलाइन के बंद होने के बाद लखनऊ के आसमान पर इंडिगो एयरलाइन का एकाधिकार हो गया। आज लखनऊ एयरपोर्ट पर 85 प्रतिशत विमान इंडिगो एयरलाइन संचालित कर रहा है। इस एकाधिकार का नुकसान इंडिगो एयरलाइन के विमान निरस्त होने के कारण यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। एयर इंडिया और अकासा एयरलाइन उस स्थिति में ही नहीं हैँ कि इतने अधिक यात्री लोड की कोई व्यवस्था कर सके।

चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर कभी इंडिगो एयरलाइन, गो एयरलाइन, सहारा एयरवेज, किंगफिशर और जेट एयरवेज की मौजूदगी थी। सहारा एयरवेज के बंद होने पर जेट एयरवेज ने उसका अधिग्रहण किया और जेट लाइट के नाम से विमानों का आपरेशन शुरू किया।

अप्रैल 2019 तक लखनऊ एयर ट्राफिक में इंडिगो की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत थी। वहीं, गो एयर की भागेदारी भी 35 प्रतिशत से अधिक थी। शेष में जेट एयरवेज, एयर इंडिया और विस्तारा की उपस्थिति दर्ज थी। मार्च 2012 में किंगफिशर की लखनऊ से दिल्ली और मुंबई की उड़ान बंद हो गई।

कोविड काल से ठीक पहले अप्रैल 2019 में जेट एयरवेज का संचालन बंद हो गया। इसके बाद प्रतिस्पर्धा सीधे लो फेयर वाली दो बड़ी कंपनियों गो एयर और इंडिगो के बीच होने लगी। इस प्रतिस्पर्धा के कारण गो एयर का लखनऊ से दिल्ली की उड़ान न्यूनतम 1800 से 2300 रुपये के बीच मिल जाती थी।

अब न्यूनतम तीन हजार रुपये का टिकट मिल पाता है। मुंबई और बेंगलुरु का न्यूनतम किराया भी 3500 से बढ़कर 5500 रुपये पहुंच चुका है। गो एयर की लखनऊ में 20 उड़ानों का आपरेशन धीरे-धीरे करके 2023 में बंद हो गया। एयर विस्तारा का विलय नवंबर 2024 में एयर इंडिया के साथ हो गया।

लखनऊ से प्रतिदिन 120 घरेलू उड़ानों में 85 प्रतिशत हिस्सा इंडिगो की उड़ान का हो गया। विमान सेक्टर में मची उथलपुथल का खामियाजा पिछले पांच दिनों से इंडिगो एयरलाइन के यात्री उठा रहे हैं। अकासा एयर, एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के पास विमानों का इतना बड़ा बेड़ा ही नहीं है कि वह इस संकट में यात्रियों को कुछ राहत दे सके।
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