Chikheang Publish time 2025-12-8 22:09:31

325 प्रजातियां, नौ हजार से ज्यादा मेहमान...यूपी के इस जिले में चंबल नदी बनी प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग

/file/upload/2025/12/1692861071485288704.webp

भरेह संगम पर कलरव करते प्रवासी पक्षी। स्रोत वन विभाग



देशराज यादव, चकरनगर(इटावा)। चंबल सैंक्चुअरी अभ्यारण क्षेत्र के अंतर्गत चंबल नदी में एक सैकड़ा से अधिक प्रवासी व रहवासी पक्षी पाए जाते हैं। प्रवासी पक्षी बर्फीले इलाकों को छोड़कर सर्दी के मौसम में चंबल नदी को भोजन के लिए निवास बनाते हैं, जिसमें कुछ प्रजातियां विलुप्त के कगार पर हैं। सर्दी अधिक होने से इस वर्ष विदेशी मेहमान अधिक संख्या में आ रहे हैं, प्रवासी पक्षी चंबल नदी में कलरव करते देखे जा रहे हैं। इस मनोहारी दृश्य को देखने के लिए पर्यटक भी पहुंच रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



चंबल नदी का कोटा से पचनद तक 625 किलोमीटर का क्षेत्र राष्ट्रीय अभ्यारण क्षेत्र घोषित है। चंबल नदी में शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रवासी व रहवासी पक्षियों की लगभग 325 प्रजातियां पाई जाती हैं, कुछ प्रजातियां मुख्य रूप से खतरे में और कुछ खतरे के कगार पर हैं। आगरा (पिनाहट) के गांव रेहा के समीप राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश तीनों प्रदेशों का बार्डर है यहीं से सैंक्चुअरी अभ्यारण क्षेत्र घोषित है। उत्तर प्रदेश में पचनद तक चंबल का लगभग 165 किलोमीटर का क्षेत्र बताया जाता है।


नौ हजार चिड़िया यहां थीं

भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के वरिष्ठ शोधकर्ता रोहित झा के मुताबिक वर्ष 2020 मार्च में संस्थान द्वारा चिड़ियों का सर्वे कराया गया था। सर्वे में रेहा से पचनद के बीच करीब 80 चिड़ियों की प्रजातियां और लगभग नौ हजार चिड़िया पाई गईं थीं। शोधकर्ता के मुताबिक रहवासी पक्षी चंबल नदी में रहकर प्रजनन करते हैं, प्रवासी पक्षी अधिक सर्दी की वजह से बर्फीले इलाकों को छोड़कर चंबल नदी में अपना समय व्यतीत करने आते हैं। भोजन की तलाश में आए प्रवासी पक्षी नदियों के संगम, घूम या गहरे पानी को अपना ठिकाना बनाते हैं। पक्षियों को पर्याप्त मात्रा में मछली का शिकार मिलता है। चंबल नदी एक बार फिर से प्रवासी व रहवासी पक्षियों से गुलजार हो गई है। यहां अन्य प्रकार के पक्षी देखने को मिलते हैं, कुछ प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।





सर्दी अधिक पड़ने की संभावना से इस बार पक्षी अधिक संख्या में पहुंच रहे हैं। पक्षियों की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग और गस्त बढ़ाई गई है।
कोटेश त्यागी, चंबल सैंक्चुअरी रेंजर चकरनगर।




/file/upload/2025/12/2589249307023105386.jpg

भरेह संगम पर धूप में लेटा हुआ घड़ियाल। स्रोत वन विभाग

पक्षियों का इन स्थानों पर रहता है जमावड़ा

सर्वाधिक पक्षी चकरनगर के अंतर्गत चंबल, यमुना नदी के संगम भरेह पर देखने को मिलते हैं। यहां दो नदियों के संगम पर मछली पर्याप्त मात्रा में मिलती है। इसके अलावा चंबल में छिबरौली गांव के नीचे, लालपुरा के नीचे और फिर पचनद संगम से पहले घूम पर पक्षियों का जमावड़ा रहता है, इससे पहले कसौआ घाट पर भी पक्षी मिलते हैं।




रहवासी पक्षियों के नाम

ब्लैक-बेलिड टर्न, रिवर लपविंग, ब्लैक-नेक्ड स्टोर्क, सारस क्रेन, ग्रेट थीक-नी, एशियन वूलीनेक, नब-बिल्ड डक, आस्प्रे, ओरिएंटल हनी-बजर्ड, ओरिएंटल डार्टर, एग्री पेन वल्चर, रेड हेडेड वल्चर, स्माल प्रेटीन काल, ब्लैक हेडेड लब्ज, यूरेशियन स्पू्नबिल, ग्रेट कारमोरेन आदि।


प्रवासी पक्षियों के नाम

[*]डालमेशियन पेलिकन
[*]कामन शेलडक
[*]स्पाटड रेडशंक
[*]मार्श संडपाइपर
[*]मार्श हैरियर
[*]गडवल
[*]यूरेशियन विजन
[*]पेरीगृन फल्कन
[*]ग्रेटर स्पोर्टेल ईगल
[*]रूसी पेलिकन
[*]रैड क्रेस्टेड पोचार्ड
[*]बार हेडेड गौस
[*]ग्रेलग हंस
[*]ग्रेटर फ्लैमिंगो
Pages: [1]
View full version: 325 प्रजातियां, नौ हजार से ज्यादा मेहमान...यूपी के इस जिले में चंबल नदी बनी प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com