cy520520 Publish time 2025-12-9 02:40:13

दिल्ली में गोवा जैसे हादसे का इंतजार, बिना Fire NOC चल रहे 3000 क्लब-बार; गुरुग्राम-नोएडा का भी यही हाल

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राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। लोगों की सुरक्षा मानकों को धता बताते हुए राजधानी के करीब 3000 से अधिक बार-क्लब बिना Fire NOC के चल रहे हैं। ऐसे में अगर राजधानी के क्लबों में गोवा जैसी आगजनी की घटना होती हैं, तब लोगाें को जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नया नियम कहता है कि 90 वर्गमीटर या इससे अधिक एरिया में बनी सभी इमारतों में चलने वाले बार-क्लब को फायर एनओसी लेना अनिवार्य है, लेकिन राजधानी के केवल 38 बार-क्लब के पास ही अग्निशमन विभाग का एनओसी प्राप्त है। जानकारों की मानें तो लाइसेंस की आधी शर्तों का भी बार संचालक पालन नहीं कर पाते हैं, इनका धंधा स्थानीय थाना पुलिस, दमकल विभाग, आबकारी विभाग, नगर निगम व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की मेहरबानी से फल-फूल रहा है।

जानकारी के मुताबिक, 90 वर्गमीटर से कम एरिया में बनी इमारतों में चलने वाले बार में बैठने की क्षमता कागजों में 48 दिखाई जाती है उनके लिए फायर एनओसी की जरूरत नहीं होती है, लेकिन इस आड़ में बार संचालक 48 की जगह 80 से 100 कुर्सियां लगा नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं।

जिस बार के पास 100 लोगों की क्षमता के लाइसेंस होते हैं वे 150 से ज्यादा लोगों को प्रवेश देते हैं। बार की नियमित जांच के लिए किसी एजेंसी के पास कोई प्रावधान नहीं है, जिससे जांच कर लाइसेंस रद करने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सके। बार-बार नियमों का उल्लंघन करने पर उनके लाइसेंस को रद किया जा सके।

एक बार संचालक का कहना है कि 48 लोगों की क्षमता वाले बार के संचालक को नगर निगम को सालाना 50 हजार व आबकारी विभाग को न्यूूनतम 15 लाख सरकारी शुल्क भरना पड़ता है। इससे अधिक क्षमता वाले बार संचालकाें काे इसी मानक के अनुरूप अधिक सरकारी शुल्क भरना पड़ता है। सबसे अधिक बार कनाॅट प्लेस व खान मार्केट में हैं।

कनाॅट प्लेस में 135 व खान मार्केट में 35 बार हैं। इनमें सबसे अधिक भीड़ होती है और यहां नियमों की धज्जियां उड़़ती है। दिल्ली में रेस्तरां, बैक्वेंट हाल, बार और गेस्ट हाउस का संचालन एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली कैंट बोर्ड द्वारा जारी होने वाले हेल्थ ट्रेड लाइसेंस के जरिये होता है। पूर्व में दिल्ली पुलिस और यातायात पुलिस की मंजूरी चाहिए होती थी जिसे खत्म कर दिया गया है।
इस तरह से होती लापरवाही

क्षमता से अधिक लोगों को बार में मिल जाती है प्रवेश की अनुमति। कमाई के लालच में ऐसा करते हैं बार संचालक फायर एनओसी के कठिन प्रविधान है। बार में प्रवेश व निकासी दो दरवाजे होने चाहिए, दो सीढ़ियां होनी चाहिए लेकिन बहुत कम बार में प्रवेश व निकासी के दो दरवाजे होते हैं।

बार में कम डेसिबल पर संगीत बजाने की अलग से अनुमति लेनी होती है। प्रवेश व निकासी दरवाजे खुलने के दौरान आवाज बाहर नहीं आनी चाहिए लेकिन अमूमन सभी बार में काफी तेज संगीत बजाया जाता है। बार खुलने का समय रात एक बजे तक ही निर्धारित है लेकिन अधिकतर बार तड़के चार बजे तक खुले होते हैं
रिहायशी ही अनधिकृत काॅलोनियों में भी चल रहे हैं रेस्तरां और बार

दिल्ली में वैसे नियमानुसार केवल व्यावसायिक अधिसूचित सड़क पर ही रेस्तरां, बार और होटल खोलने की अनुमति है। लेकिन दिल्ली नगर निगम के नाक के नीचे रिहायशी और अनधिकृत काॅलोनियों में भी बार का संचालन हो रहा है। इसमें दिल्ली पुलिस से लेकर निगम के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के पब्लिक हेल्थ इंस्पेक्टर से लेकर उप स्वास्थ्य अधिकारी की मिलीभगत होती है।
इलेक्ट्रिक पटाखों के लिए नहीं है कोई नियम

इन बार-क्लब में पार्टी के नाम पर इलेक्ट्रिक पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है। ये इलेक्ट्रिक पटाखे खुले बाजार में उपलब्ध नहीं होते हैं। ऑर्डर पर ये तैयार किए जाते हैं। इनके लिए किसी तरह का नियम या निगरानी की व्यवस्था नहीं है। इसकी वजह से इसका चलन बढ़ रहा है। गोवा के क्लब में भी आग लगने में इसकी भूमिका सामने आ रही है।
गुरुग्राम में 926 में से 451 के पास नहीं है एनओसी

दिल्ली के बाद सबसे ज्यादा क्लब व बार गुरुग्राम में हैं। यहां करीब 926 बार-क्लब व रेस्तरां हैं। इनमें से 475 के पास ही वैध फायर एनओसी है। 451 के पास एनओसी नहीं है।
गौतमबुद्ध नगर में भी नियमों की अनदेखी

गौतमबुद्ध नगर जिले में दो हजार से ज्यादा क्लब, बार, पब, होटल व रेस्तरां चल रहे हैं। अग्निशमन और आबकारी विभाग के रिकार्ड के मुताबिक इनमें से फायर एनओसी 102 और बार का लाइसेंस 154 के पास है। लेकिन अग्निशमन सुरक्षा मानक जैसे निकासी की व्यवस्था, क्षमता से ज्यादा ग्राहकों को बुलाना, फायर उपकरण आदि पूरे नहीं हैं।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में कई जगह पर क्लब, बार, रेस्तरां तीसरे, चौथे मंजिल पर संचालित हो रहे हैं। नियमों के पालन नहीं होने के पीछे कारण प्राधिकरण, अग्निशमन और आबकारी विभाग के बीच सामंजस्य का अभाव है।

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