Chikheang Publish time 2025-12-9 05:06:07

कट्टरपंथी अलगाववादी नेता शकील बख्शी को पुलिस ने किया गिरफ्तार, 1996 में नाज क्रॉसिंग के पास हुई पत्थरबाजी का आरोपी

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सांकेतिक तस्वीर



राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। तीन दशक से अनसुलझी एक आतंकी वारदात के सिलसिले में पुलिस ने सोमवार को कट्टरपंथी अलगाववादी नेता और इस्लामिक स्टुडेंट्स लीग के चेयरमैन रहे शकील अहमद बख्शी को गिरफ्तार कर लिया।

बताया जाता है कि शकील बख्शी आज एनआइए अधिनियम के तहत गठित विशेष अदालत श्रीनगर में आत्मसमर्पण किया है। लेकिन पुलिस ने दावा किया है कि उसे लोअर कोर्ट बेमिना परिसर के पास से पकड़ा गया है

शकील बख्शी कश्मीर के सबसे पुराने और कटटरपंथी अलगाववादी नेताओं में एक है। वह मूल रूप से बटमालू में जियारत कालौनी का रहने वाला है और बीते कुछ वर्ष से गौसिया कालौनी बेमिना में रह रहा है।

संबधित अधिकारियों ने बताया कि शकील बख्शी की गिरफ्तारी 17 जुलाई 1996 को नाज क्रॉसिंग के पास हुई पत्थरबाजी, हिंसा, आगजनी और सुरक्षाबलों पर फायरिंग से संबधित शेरगढ़ी पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआइआर-192/1996 के मामले में हुई है। इसमें रणबीर पीनल कोड के सेक्शन 307, 341, 148, 336, और 332 के साथ-साथ आर्म्स एक्ट के सेक्शन 7/25 और अनलॉफुल एक्टिविटीज़ प्रिवेंशन एक्ट के सेक्शन 13 के तहत आरोप शामिल हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

बताया जाता है कि कुख्यात आतकी हिलाल अहमद बेग सुरक्षाबलों के सथ कथित तोर पर मुठभेड़ में मारा गया था। उसके शव को जब दफनाने के लिए ले जया जा रहा था तो नाज क्रासिंग केपास उसके जनाजे में शामिल लोग हिंसा पर उतर आए।

जुलसू में शामिल आतंकियों ने सुरक्ष्ज्ञाबलों पर फायरिंग भी की थी,लेकिन किसी की मौत नहीं हुई। इस मामले में सैयद अली शाह गिलानी, अब्दुल गनी लोन,शकील अहमद बख्शी, मोहम्मद याकबू वकील, जावेद अहमद मीर,अब्दुल गनी लोन, शब्बीर शाह और नईम अहमद खान को नामजद किया गया है। इनमें सैयद अली शाह गिलानी, याकूब वकील और अब्दुल गनी लोन की मृत्यु हो चुकी है जबकि शब्बीर शाह और नईम खान टेरर फंडिंग के आरोप मं तिहाड़ जेल में बंद हैं।

इस्लामिक स्टुडेंटस लीग के नेता शकील अहमद बख्शी को कश्मीर में अलगाववादी खेमे का मुख्य फुट सोल्जर माना जाता है जो किसी भी समय पत्थरबाजी और विरोध प्रदर्शनों के लिए भीड़ जमा करने में समर्थ है। वह ऑल पार्टी हुर्रियत कान्फ्रेंस के साथ भी जुड़ा रहा है,लेकिन नीतिगत मतभेद होने के कारण उसने खुद को हुर्रियत से अलग कर लिया था।

वर्ष 2006 में रिहा होने के बाद वह कुछ समय तक सामान्य जिंदगी जीता नजर आया,लेकिन वर्ष 2008 में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान भी पकड़ गया और लगभग एक वर्ष बाद जेल से रिहा हुआ। वर्ष 2010 में वह इंटरनेट मीडिया पर भारत विरोधी दुप्रचार के आरोप में पकड़ा गया और कुछ माह बाद रिहा हुआ। वर्ष 2011 में उसे पुन: गिरफ्तार किया गया। जुलाई 2019 में आतंकियों ने उसकी हत्या के लिए उस पर पहमला किया था,लेकिन वह बाल बाल बच गया था।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शकील बख्शी की गिरफ्तारी, कश्मीर में लंबित पड़े आतंकी मामलों की जांच पूरी करने और उनमें वांछित तत्वों का पता लगा उन्हें दंड दिलाने के लिए जारी अभियान का हिस्सा है।
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