बदले की आग में जल उठा ओडिशा का ये इलाका: आदिवासियों ने फूंका पूरा गांव, 24 घंटे के लिए इंटरनेट बंद
/file/upload/2025/12/6856101258423735518.webpगांव में आगजनी। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। कटे हुए सिर घटना का बदला लेने के लिए मालकानगिरी जिले के कोरूकोण्डा ब्लॉक के एमवी-26 गांव में तनाव चरम पर है। सोमवार को गांव में 50 से अधिक घरों में आग लगाकर लूटपाट की गई थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
हजारों आदिवासी एकजुट होकर पूरे गांव को आग के हवाले कर दिए हैं। भारी पुलिस बल, डीवीएफ और बीएसएफ जवानों की मौजूदगी के बावजूद हिंसा को रोका नहीं जा सका।
जिले में आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदाय आमने-सामने हैं। हिंसा फैलने की आशंका में सभी थानों को हाई-अलर्ट पर रखा गया है।
24 घंटे के लिए इंटरनेट बंद
जिले में 24 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी निगरानी का आदेश दिया गया है। स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए पुलिस हरसंभव प्रयास कर रही है।
सोमवार शाम को पुलिस डीजीपी वाई.बी. खुरानिया मालकानगिरी पहुंचे और हालात की समीक्षा की। उनके साथ एडीजी संजीव पंडा, इंटेलिजेंस डीआइजी अखिलेश्वर सिंह और दक्षिण-पश्चिम रेंज डीआइजी के.वी. सिंह भी मौजूद रहे। मीटिंग में हिंसा को अन्य क्षेत्रों में फैलने से रोकने पर जोर दिया गया।
3 दिनों से लापता राखालगुड़ा गांव की आदिवासी महिला लाके पाड़ियामी का सिरविहीन शव 4 तारीख को मिलने के बाद स्थिति विस्फोटक हो गई। आदिवासी समुदाय का आरोप है कि जमीन विवाद को लेकर उसकी निर्ममता से हत्या की गई है। इसके विरोध में दो दिनों से प्रदर्शन और बैठकें चल रही थीं।
मलकानगिरी में डीजीपी की समीक्षा
रविवार को आदिवासी लोगों ने बंगाली भाषी गांव एमवी-26 पर हमला किए थे और पुलिस मौजूद होने के बावजूद 50 से अधिक घर जला दिए थे। पुलिस को लगा था कि हालात अब शांत हो जाएंगे, लेकिन सोमवार को स्थिति और बिगड़ गई। सुबह करीब 10 हजार आदिवासी एमवी-26 को चारों ओर से घेरकर लिए। गांव खाली था और लोग अपने घर छोड़कर अज्ञात स्थानों पर छिपे हुए थे।
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एसपी बिनोद पाटिल ने गुस्साए आदिवासियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन पारंपरिक हथियारों से लैस भीड़ अचानक गांव में घुस गई और तोड़फोड़ करते हुए पूरे गांव को आग लगा दी। कुछ ही मिनटों में गांव जल कर खाक हो गया। गैस सिलिंडर फटने से बड़े धमाके भी हुए। यहां तक कि दमकल वाहन भी भीड़ का निशाना बने। लाके पाड़ियामी का सिर नहीं मिलने के कारण पोस्टमॉर्टम अभी तक नहीं हो पाया है।
गैर-आदिवासी गांवों में दहशत
हिंसा के बाद आस-पास के बंगाली भाषी गांवों में डर का माहौल है। सोमवार सुबह एमवी-3 गांव में बंगीय समाज की बड़ी बैठक हुई। हजारों लोग इकट्ठा हुए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
इसके बाद विशाल रैली निकालकर लोग जिलाधीश कार्यालय पहुंचे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर अस्थिरता पैदा कर रहे हैं और 72 घंटे के भीतर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही एमवी-26 गांववासियों को मुआवजा और लाके पाड़ियामी की हत्या में शामिल सभी आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की गई।
जिलाधीश ने दोनों पक्षों को साथ बैठाकर संवाद कराने का प्रयास किया। आदिवासी संघ के नेता तो पहुंच गए, लेकिन बंगीय समाज के कोई बड़े नेता मौजूद न होने के कारण बैठक नहीं हो पाई।
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