Odisha Politics: बासुदेवपुर में बीजेडी की पकड़ ढीली, भाजपा में शामिल हो रहे नेता
/file/upload/2025/12/4865507051103107285.webpबीजेपी और बीजेडी का चुनाव चिह्न। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। कभी भद्रक जिले की बासुदेवपुर विधानसभा सीट बीजेडी का अभेद्य किला मानी जाती थी। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता अशोक दास ने इस किले में सेंध लगाकर जीत दर्ज की। उनके विधायक बनने के बाद से ही क्षेत्र में राउतराय परिवार का प्रभाव लगातार कम होता दिख रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इधर, चुनाव से पहले ही बीजेडी के युवा नेता बाणीकल्याण महांति पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा के टिकट पर चुनाव हारने के बाद भी वे बासुदेवपुर में पार्टी संगठन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं।
उधर, हाल ही में बासुदेवपुर ब्लॉक अध्यक्ष नगेंद्र बिश्वाल ने बीजेडी की प्राथमिक सदस्यता छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। उनके साथ कई पुराने नेता और कार्यकर्ता भी पार्टी बदल चुके हैं। इससे बीजेडी की अंदरूनी स्थिति और कमजोर होती दिख रही है।
राउतराय परिवार की बढ़ी चिंता, गढ़ बचाने की कवायद शुरू
लगातार हो रहे पलायन से बीजेडी के पूर्व विधायक बिष्णुब्रत राउतराय (जीतू) की चिंता साफ झलक रही है। तीन पीढ़ियों तक—नीलमणि राउतराय, विजयश्री राउतराय और बाद में खुद बिष्णुब्रत—इस सीट पर कब्जा बनाए रखने वाले परिवार के हाथों से अब पार्टी का नियंत्रण फिसलता दिख रहा है।
ब्लॉक अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद सरपंचों और समिति सदस्यों के भी भाजपा की ओर झुकाव की चर्चाएं तेज हैं। इसे देखते हुए जीतू राउतराय ने बंद कमरे में बैठक कर पार्टी पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को एकजुट रखने की रणनीति बनाई।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी को विचलित होने की जरूरत नहीं। हम संगठित रहेंगे, जनता के बीच जाकर काम करेंगे और विपक्ष की जिम्मेदारी निभाएंगे। बैठक में बीजेडी के सरपंच, समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य और पुराने कार्यकर्ता भी शामिल रहे।
आने वाले दिनों में और टूट की आशंका
सूत्रों के अनुसार, बासुदेवपुर के कई और बीजेडी नेता भाजपा में जाने की तैयारी में हैं। ऐसे माहौल में जीतू राउतराय ने अपने राजनीतिक गढ़ को बचाने के लिए जोरदार प्रयास शुरू कर दिए हैं। लेकिन ये कोशिशें कितनी सफल होंगी, इसका फैसला आने वाला वक्त ही करेगा।
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