cy520520 Publish time 2025-12-9 14:47:33

भारत में क्यों गहराया हवाई यात्रा का संकट, क्या अन्य देशों की तुलना में अधिक काम करते हैं भारतीय पायलट? जानिए

Indigo Crisis: भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो में पिछले एक सप्ताह से चल रहे परिचालन संकट ने देश की हवाई यात्रा को पूरी तरह बाधित कर दिया है। पायलटों की कमी के कारण 2 दिसंबर से अब तक करीब 5000 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो चुकी है। इस संकट ने न केवल यात्रियों को मुश्किल में डाला है, बल्कि भारतीय पायलटों की कामकाजी परिस्थितियों और वेतन को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए आपको बताते हैं दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कैसी है भारतीय पायलटों की स्थिति।



इंडिगोप्रतिदिन 2,200 उड़ानें संचालित करती है, 20 साल के अपने इतिहास में सबसे बुरे संकट से गुजर रही है। भारतीय फ्लाइट ऑपरेशन में इंडिगो की मार्केट हिस्सेदारी 65% है। एयर इंडिया के साथ मिलकर ये दोनों कंपनियां 92% बाजार को नियंत्रित करती हैं। कई छोटे शहरों के लिए इंडिगो एकमात्र संपर्क सूत्र है, जिसने संकट के प्रभाव को और गंभीर बना दिया। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में 2-3 दिनों तक हजारों यात्री फंसे रहे।



मांग में आई अचानक वृद्धि के कारण टिकट की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई, जिसके बाद सरकार को घरेलू हवाई किराए की अधिकतम सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। 5 दिसंबर को लगभग 1,600 उड़ानें रद्द हुईं, जिसके बाद अगले दिनों में भी यह संख्या 700, 650 और 400 से अधिक बनी रही। एयरलाइन का दावा है कि परिचालन 15 दिसंबर तक सामान्य हो जाएगा।




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नए FDTL नियम और एयरलाइन की लापरवाही



इंडिगो में संकट का मुख्य कारण फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस (FDTL) नियमों को लागू करने में विफलता है, जिन्हें 2024 की शुरुआत में पायलटों के आराम और ड्यूटी के घंटों में सुधार के लिए लाया गया था। 1 नवंबर से प्रभावी नए FDTL नियम:



[*]पायलटों का अनिवार्य साप्ताहिक आराम 36 से बढ़ाकर 48 घंटे किया गया।
[*]रात में लगातार उड़ान के घंटों की अधिकतम सीमा 10 घंटे तक सीमित की गई।
[*]मध्यरात्रि और सुबह के बीच एक सप्ताह में पायलट द्वारा की जा सकने वाली लैंडिंग की संख्या दो तक सीमित की गई।




फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने इंडिगो पर नियमों को अपनाने में \“अविश्वसनीय रूप से लापरवाह, उदासीन रवैया\“ रखने का आरोप लगाया है। FIP ने कहा कि पूर्ण FDTL कार्यान्वयन से पहले दो साल की तैयारी की विंडो मिलने के बावजूद एयरलाइन ने नई भर्ती पर रोक लगाई और पायलटों के वेतन को स्थिर रखने के लिए \“कार्टेल\“ जैसी प्रथाएं अपनाईं।



कैसी है भारतीय पायलटों की कामकाजी स्थिति?



पायलट यूनियनों की सालों की लॉबिंग के बाद FDTL नियम पेश किए गए, ताकि पायलटों की थकान और परिचालन सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब लाया जा सके। एक भारतीय एयरलाइन के कमर्शियल पायलट पवन ने बताया कि कई उद्योगों के विपरीत, भारतीय पायलटों के वेतन में मुद्रास्फीति से जुड़ी वृद्धि शायद ही कभी होती है। उन्होंने कहा कि 15 साल से काम कर रहे कई पायलटों को लगता है कि वे \“10 साल पहले जितना कमाते थे, आज भी उतना ही या शायद कम कमा रहे हैं।\“



अन्य देशों के मुकाबले भारत कहां खड़ा है?



2025 के अनुमानों के अनुसार, नए कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) धारकों का शुरुआती वार्षिक वेतन ₹400,000 ($4,400) से शुरू होता है, जबकि वरिष्ठ कैप्टन का वार्षिक वेतन ₹10 मिलियन ($120,000) से अधिक हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय निकाय जैसे ICAO (संयुक्त राष्ट्र एजेंसी) पायलटों के लिए विशिष्ट घंटे निर्धारित नहीं करते हैं, लेकिन विभिन्न देशों के अपने नियम हैं, जिनसे भारत की तुलना की जा सकती है:





   देश/एजेंसी
    अनिवार्य साप्ताहिक आराम
   रात की ड्यूटी सीमा
   वार्षिक आय (वरिष्ठ कैप्टन)


   भारत (नए नियम)
   48 घंटे
   10 घंटे
   $120,000


   ऑस्ट्रेलिया (CASA)
   48 घंटे (7 दिनों में)
   9-10 घंटे
   A$400,000 (~$268,000)


   कनाडा
   36 घंटे (7 दिनों में)
   8-10 घंटे
   C$250,000 (~$182,500)


   यूएसए
   30 घंटे (7 दिनों में)
   9-10 घंटे
   $198,100


   यूरोप (EASA)
    न्यूनतम 36 घंटे
   -
   €113,672 (~$122,776)






भारत के नए FDTL नियम आराम के घंटों के मामले में ऑस्ट्रेलिया के साथ तालमेल बिठाते हुए, थकान प्रबंधन को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के करीब लाते हैं। हालांकि, भारतीय पायलटों का एंट्री-लेवल वेतन और वरिष्ठ पायलटों की अधिकतम आय कई विकसित देशों की तुलना में काफी कम है। पायलटों का मुख्य असंतोष नियमों की कमी से नहीं, बल्कि एयरलाइनों द्वारा वेतन वृद्धि को रोके रखने और परिचालन की खराब प्लानिंग से है, जिसने उन्हें घंटों काम करने के लिए मजबूर किया है।
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