Chikheang Publish time 2025-12-9 17:41:27

खोदाई में तीन तल, तहखाना और सुरंगनुमा संरचनाएं मिलीं... अब क्या है चंदौसी की ऐतिहासिक बावड़ी का हाल?

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125-150 साल पुरानी बावड़ी



जागरण संवाददाता, चंदौसी। नगर के लक्ष्मणगंज क्षेत्र में मिली करीब 125-150 साल पुरानी बावड़ी प्रशासनिक दावों के बावजूद आज भी उपेक्षा की मार झेल रही है। अतिक्रमण हटाने और खोदाई के दौरान मिले इसके तीन तल, एक तहखाना और सुरंगनुमा संरचनाओं ने इसे ऐतिहासिक धरोहर साबित किया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पुरातत्व विभाग और प्रशासन ने इसे संरक्षित किए जाने की बात कही थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी संरक्षण कार्य ठप पड़ा है। जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन की ओर से पुरातत्व विभाग को कई पत्र भेजे जा चुके हैं, परंतु ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हो सकी है।
पिछली साल 21 दिसंबर को समाधान दिवस में दी गई थी डीएम को बावड़ी होने की जानकारी


लगभग 400 वर्ग मीटर में फैली यह बावड़ी 21 दिसंबर 2024 को समाधान दिवस में दिए गए प्रार्थना पत्र के आधार पर सामने आई थी। उसी दिन जिलाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर खोदाई के निर्देश दिए। शुरुआती खोदाई में बावड़ी का ढांचा स्पष्ट होने लगा और करीब 20 दिनों तक मजदूरों ने कार्य जारी रखा। पहली मंजिल साफ होने के बाद दूसरी मंजिल के कमजोर ढांचे और भीतर से उठते धुएं के कारण एएसआई ने सुरक्षा को देखते हुए खोदाई रुकवा दी।

इस दौरान एएसआई और राज्य पुरातत्व विभाग की टीमों ने पुराने निर्माण अवशेष, बहुस्तरीय संरचनाएं और भूमिगत मार्ग जैसे संकेत मिलने की पुष्टि की। स्थानीय लोगों का यह दावा भी सामने आया कि यह बावड़ी 1857 के विद्रोह से जुड़ी हो सकती है और क्रांतिकारी यहां के गुप्त मार्गों का उपयोग करते रहे होंगे। वैज्ञानिक पुष्टि अभी लंबित है, लेकिन विशेषज्ञ इसे संभावनाशील स्थल मान रहे हैं।
खाेदाई बंद होने के बाद एएसआई को दी जानकारी



खोदाई बंद होने के बाद प्रशासन ने एएसआई को स्थिति से अवगत कराया, पर विभाग की ओर से आगे की पहल न होने पर जिला प्रशासन ने संरक्षण की जिम्मेदारी नगर पालिका को सौंप दी। नगर पालिका ने करीब एक लाख रुपये की लागत से तिरपाल लगाकर इसे ढकने की कोशिश की, लेकिन कुछ ही दिनों में बंदरों ने तिरपाल फाड़ दिया। इसके बाद जून में करीब 12 लाख रुपये की लागत से टीनशेड और बाउंड्री वॉल का निर्माण कराया गया। टीनशेड से बारिश से तो बचाव हो गया, लेकिन खोदाई वाले हिस्सों पर अन्य क्षति से बचने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किया गया।

बाउंड्री वॉल भी कम ऊंचाई की होने से कई बार पशु भीतर चले जाते हैं। कुछ समय पहले एक बछड़ा बावड़ी के गड्ढे में गिरकर मर गया था और कई बच्चे भी यहां चोटिल हो चुके हैं। फिलहाल न तो जिला प्रशासन और न ही पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षण को लेकर कोई स्पष्ट योजना सामने आई है। नगर पालिका ने बजट की कमी का हवाला देते हुए अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम करने में समय लगने की बात कही है।


ये मिला था बावड़ी की खोदाई में


खोदाई के दौरान एक सुरंग और भव्य प्राचीन बावड़ी सामने आई, जिसे रानी की बावड़ी’ के नाम से जाना जाता है। इसमें 12 कमरे, एक कुआं और सुरंगनुमा संरचनाएं मौजूद हैं। अब तक चार कमरे स्पष्ट तौर पर निकल चुके हैं। जेसीबी मशीन की मदद से खोदाई सावधानी से की गई थी। खुदाई में कई ऐतिहासिक व सांस्कृतिक वस्तुएं मिलीं।


ढहाया गया था एक मकान का हिस्सा



खोदाई के दौरान बावड़ी का एक हिस्सा एक मकान के नीचे जाता पाया गया। सुरक्षा कारणों से प्रशासन ने मकान के कुछ हिस्से को ध्वस्त कराकर खोदाई पूरी कराई। बावड़ी का कुछ भाग सड़क के नीचे तक मौजूद बताया जा रहा है।




इस संबंध में हमको अभी कोई नया निर्देश प्राप्त नहीं हुआ, जिस कारण स्थिति यथावत रखी हुई है। जैसे ही आगे निर्देश मिलेंगे उसी के अनुरूप कार्य होगा। इन दिनों एसआइआर के कारण व्यस्तता भी अधिक रही है। -आशुतोष तिवारी, एसडीएम चंदौसी

अभी संरक्षण के संबंध में नगर पालिका को कोई दिशा निर्देश जारी नहीं हुआ है। बजट की कमी के कारण बाउंड्रीवाल ऊंचा करने और जाली लगाने में समय लगेगा।
-धर्मराज राम, ईओ नगर पालिका
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