डीजीसी के निर्देश के बाद भी इंडिगो ने क्रू मेंबर को लेकर बरती लापरवाही और यात्रियों को हुई परेशानी
/file/upload/2025/12/6272221308073937269.webpपुनीत गुप्ता ने बताया कि विमानन कंपनियों को विमानों के आगमन-प्रस्थान और टिकट रद्द होने की सूचना समय पर देनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : विमान यात्रियों की बढ़ती संख्या को लेकर विमानन कंपनियों ने विमानों की संख्या बढ़ाई लेकिन सुविधाओं पर फोकस नहीं किया। इंडिगो कंपनी ने भी यही किया। डीजीसीए के निर्देश के बाद भी इंडिगो ने क्रू मेंबर को लेकर लापरवाही बरती और यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
वास्तव में यात्री अपने संपूर्ण अधिकार के बारे में नहीं जानते, जिस दिन वे अपने अधिकार के बारे में जान जाएंगे उस दिन से उन्हें सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी। विमान यात्रियों की सुविधा को लेकर सख्त कानून बनाना होगा, तभी प्राइवेट कंपनियों पर नियंत्रण रखा जा सकेगा। यह कहना है लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के निदेशक पुनीत गुप्ता का। वे सोमवार को दैनिक जागरण की ओर से नदेसर सभागार में आयोजित साप्ताहिक अकादमिक विमर्श को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हम सरकारी विभागों में सूचना का अधिकार के तहत सूचनाएं मांग लेते हैं लेकिन प्राइवेट कंपनियों से नहीं, इन्हें भी दायरे में लाने की जरूरत है जिससे सही सूचना आमजन को मिल सके। एक क्रू मेंबर के काम करने का समय आठ घंटे तय होने के साथ इंडिगो के विमानों में संकट आया।
यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। विमानन कंपनी को विमान के आने-जाने या विलंबित होने और टिकट कैंसिल होने की सूचना समय पर देनी चाहिए। टिकट कैंसिल होने के साथ यात्रियों की सारी तैयारी बेकार हो जाती है। टिकट कैंसिल का पैसा यात्री को मिलता है लेकिन वे ट्रेन या सड़क मार्ग समेत अन्य साधन से एयरपोर्ट पहुंचता है। टिकट कैंसिल होने पर उसे लौटने में परेशानी होती है, यह खर्च विमानन कंपनियां नहीं देती हैं। इतना ही नहीं, एजेंट का भी पैसा डूब जाता है।
विमानन कंपनियों ने पांच साल में तीन हजार विमान खरीदे लेकिन उसके सापेक्ष क्रू मेंबरों की संख्या नहीं बढ़ाई। इसके लिए पालिसी बनानी चाहिए जिससे विमानन कंपनियों पर नियंत्रण होने के साथ यात्रियों को बेहतर सुविधा दी जा सके। विमानन कंपनियों में भी रोजगार के काफी अवसर है, लेकिन हम ध्यान नहीं देते हैं। एक पायलट को तैयार होने में एक से डेढ़ करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
हम जितनी अच्छी सुविधा देंगे उतने अधिक विमानन यात्री आएंगे। वर्ष 2010 में पहली बार मुंबई और दिल्ली एयरपोर्ट को प्राइवेट हाथों में सौंपा गया। उसके साथ यात्रियों की सुविधाएं भी मिली। वर्ष 2010 से एयरपोर्ट विस्तारीकरण की बात चल रही है लेकिन करीब 15 वर्ष बाद काम शुरू हो पाया।
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