SIR in Indore: सिंधी समाज के हजारों नाम मतदाता सूची से हो सकते हैं बाहर, इनमें विस चुनाव लड़े कांग्रेस प्रत्याशी भी शामिल
/file/upload/2025/12/7325441785643797646.webpमतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य जारी है (प्रतीकात्मक चित्र)
डिजिटल डेस्क, इंदौर। इंदौर में रह रहे सिंधी समाज के हजारों लोगों के नाम मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि तीन-चार दशक पूर्व पाकिस्तान के सिंध से आकर भारत में बसे हिंदू शरणार्थियों की एसआइआर प्रक्रिया में मैपिंग नहीं हो पा रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बीते विधानसभा चुनाव में इंदौर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे पीएल राजा मंधवानी भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। मंधवानी की तरह इंदौर में 15-20 हजार सिंधी शरणार्थी 2003 का इपिक नंबर (मतदाता की विशिष्ट पहचान वाली संख्या) नहीं दे पा रहे हैं।
निर्वाचन आयोग की ओर से ऐसे शरणार्थियों के बारे में फिलहाल कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया है। जैकबाबाद सिंधी पंचायत ऐसे मतदाताओं को जुटाकर अपने हिसाब से फार्म भरवाकर जमा करवाने में जुटी है, लेकिन उन्हें भी नहीं पता कि कितने नाम सूची में रहेंगे और कितने बाहर हो जाएंगे। इस दौरान सिंधी समाज से आने वाले इंदौर के सांसद शंकर लालवानी भी सिंधी शरणार्थियों के मामले में अलग से दिशा-निर्देश जारी करने की मांग उठा रहे हैं।
बीते लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची के अनुसार, इंदौर के क्षेत्र चार में कुल 2,44,594 मतदाता थे। इनमें से 70 हजार से ज्यादा मतदाता सिंधी समाज से हैं। इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या पाकिस्तानी शरणार्थियों की भी है। इसी क्षेत्र से बीते विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे राजा मंधवानी अब जैकबाबाद सिंधी पंचायत के सरपंच भी हैं।
मंधवानी का कहना है कि उनकी तरह समाज के नागरिक हजारों की संख्या में हैं, जिनके पास 25 साल पुराना वोटर आइडी कार्ड या इपिक नंबर नहीं है। सरकार हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दे चुकी है, लेकिन हमारे नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं थे। कहीं से कोई सीधा जवाब नहीं मिला। इसके बाद जैकबाबाद पंचायत एसआइआर के लिए शिविर लगाकर अपने स्तर पर फार्म भरवा रही है। हम अभी इपिक नंबर की बजाय नागरिकता के प्रमाण-पत्र और दस्तावेज लगाकर ही फार्म जमा करवा रहे हैं। फार्म की एक प्रति लोगों के रिकार्ड में रखवा रहे हैं ताकि आगे हम प्रमाण दे सकें कि फार्म जमा किया था।
आयोग से मांगी सूची
मतदाता सूची की गड़बड़ी के लिए हाई कोर्ट में याचिका लगा चुके कांग्रेस के पदाधिकारी रवि गुरुनानी कहते हैं कि हमने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि बूथ और क्षेत्र के अनुसार सूची जारी करें। इससे स्पष्ट हो सकेगा कि कितने शरणार्थी हैं या अन्य देशों से आकर बसे नागरिक हैं जिनके नाम हटाए जा सकते हैं।
मैपिंग के लिए स्पष्ट निर्देश
नवजीवन विजय पंवार, उपजिला निर्वाचन अधिकारी व एसआइआर प्रभारी ने कहा कि शरणार्थियों या किसी खास समुदाय के लिए निर्वाचन आयोग ने कोई अलग से निर्देश नहीं दिए हैं। अभी सिर्फ इतना निर्देश है कि 2025 की मतदाता सूची के नामों की मैपिंग 2003 की मतदाता सूची में उपलब्ध नामों से करना है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऐसे मतदाता जिनकी मैपिंग नहीं हो सकेगी, उन्हें नाम दर्ज करवाने का एक मौका मिलेगा। इसके लिए उन्हें सूची में लिखे 11 में से कोई एक दस्तावेज उपलब्ध करवाना होगा।
अलग से दिशा-निर्देश की जरूरत
इंदौर से लोकसभा सदस्य शंकर लालवानी ने कहा कि पाकिस्तान व अन्य देशों से आए हिंदू व सिंधी शरणार्थियों के लिए एसआइआर प्रक्रिया में अलग से दिशा-निर्देश जारी होने चाहिए। अब तक कुछ स्पष्ट नहीं है। इस बारे में मैं आगे बात कर रहा हूं।
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