LHC0088 Publish time 2025-12-9 23:42:11

Sant Premanand: राधा नाम की रसवृष्टि, सात कोस में फैली अध्यात्म की आभा; संत प्रेमानंद ने शिष्यों संग की परिक्रमा पूर्ण

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Sant Preamanand: सात कोस की परिक्रमा करते संत प्रेमानंद।



संवाद सूत्र, जागरण, गोवर्धन (मथुरा)। गिरिराज महाराज की पावन तलहटी में मंगलवार की भोर कुछ यूं अलौकिक बनी कि परिक्रमा पथ पर निकलते ही वातावरण जय गिरिराज महाराज और राधे राधे के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

संत प्रेमानंद जी जब भक्तों की टोलियों संग सात कोसीय परिक्रमा आरंभ करने निकले, तो ब्रज की धरा भक्ति और आनंद से सराबोर हो गई। मंगलवार को गिरिराज महाराज की परिक्रमा परंपरा के दिव्य रंग उस समय और निखर उठे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जब संत प्रेमानंद जी ने भक्तों के विशाल समूह के साथ सात कोसीय परिक्रमा पूर्ण की। परिक्रमा पथ पर भोर की शांति, हवाओं में रची ब्रजरज की महक और राधे-राधे के जयघोष माहौल को भक्तिमय करते रहे।

रविवार को जहां संतजी ने विश्राम लिया था, मंगलवार प्रातः उसी स्थल जहाजघर से उन्होंने परिक्रमा पुनः आरंभ की। सुबह लगभग आठ बजे जैसे ही संतजी आगे बढ़े, श्रद्धालुओं का सैलाब परिक्रमा मार्ग की ओर उमड़ पड़ा।

दूर-दूर से भक्त दौड़ते हुए पहुंचे ताकि संतजी के दर्शन और उनके दिव्य चरण रज का स्पर्श पा सकें। मार्ग पर हर ओर फूलों की वर्षा, राधानाम की रसवृष्टि और भक्ति की तरंगों का अद्भुत संगम देखने को मिला।

करीब 10:30 बजे संतजी राधाकुंड स्थित कैलादेवी मंदिर पहुंचे और सात कोसीय परिक्रमा पूर्ण की। प्रतिदिन लगभग तीन घंटे पैदल चलकर संत प्रेमानंदजी ने पांच दिनों में परिक्रमा पूर्ण की, वे एक दिन छोड़कर परिक्रमा करने आते थे।

संत प्रेमानंदजी की दिव्य उपस्थिति ने एक बार फिर यह अनुभूति करा दी कि गिरिराजजी की तलहटी में उनका एक कदम भी साधकों के लिए सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति का मंगल संदेश है।
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