पॉक्सो में मनमाने आरोप पर दिल्ली हाई कोर्ट की फटकार, कहा - फर्जी आरोप न्यायिक समय की बर्बादी
/file/upload/2025/12/6241086985746387821.webpदिल्ली हाई कोर्ट ने आपराधिक न्याय व्यवस्था के व्यक्तिगत दुश्मनी के लिए इस्तेमाल पर लगाई फटकार।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाकर पॉक्सो जैसे गंभीर अपराध में प्राथमिकी कराने की प्रथा की दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी निंदा की। मामले की जुड़ी प्राथमिकी को रद करते हुए न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि आपराधिक न्याय व्यवस्था का इस्तेमाल व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए नहीं किया जा सकता। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पीठ ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के गंभीर नतीजे होते हैं और इसे गुस्से में या गलत सलाह पर नहीं शुरू किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि अदालत यह दोहराना जरूरी समझती है कि बिना किसी ठोस आधार के आपराधिक न्याय व्यवस्था का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि यह न सिर्फ आपराधिक कानून के मकसद को कमजोर करता है, बल्कि न्यायिक समय की बर्बादी का कारण बनता है।
2016 की प्राथमिकी की रद
अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए 2016 में पाक्सो की धारा में की गई प्राथमिकी को रद कर दिया। इसमें आरोप लगाया गया था कि एक युवती पर उसके पड़ोसियों ने हमला किया था और उसका यौन उत्पीड़न किया गया था। अदालत ने नोट किया कि शिकायतकर्ता ने आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की बात कबूल की थी और दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से अपना विवाद सुलझा लिया था।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि बाजार जाने के दौरान याचिकाकर्ताओं ने उसे गलत तरीके से छुआ था और उसकी चाची को चोट पहुंचाई थी। शिकायतकर्ता ने अपने बयान में कहा कि उस समय दी गई गलत सलाह के कारण उसने बढ़ा-चढ़ाकर आरोप लगाए थे और प्राथमिकी सिर्फ एक गलतफहमी के कारण दर्ज की गई थी।
कोर्ट प्रक्रिया के दुरुपयोग पर फटकार
महिला ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के साथ उनमा मामला सुलझ गया है। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि पुरानी दुश्मनी व गलतफहमी के कारण उन्होंने भी एक क्रास प्राथमिकी दर्ज की थी। मामले से जुड़ी प्राथमिकी को रद करते हुए अदालत ने कहा कि कार्यवाही जारी रखने से कोर्ट की प्रक्रिया का सरासर दुरुपयोग होगा और वह भी तब जब मामला 2016 से लंबित है और अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं।
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