cy520520 Publish time 2025-12-10 17:37:38

दुलहस्ती-2 परियोजना निर्माण की राह में खड़ी पर्यावरण मंजूरी की अड़चन दूर होने की उम्मीद, प्रदेश को होगा फायदा

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प्रस्तावित परियोजना दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना-एक का ही विस्तार है। फाइल फोटो।



राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। चिनाब नदी पर प्रस्तावित दुलहस्ती परियोजना द्वितीय के निर्माण की राह में खड़ी पर्यावरण मंजूरी की एक अड़चन इसी माह दूर होने की उम्मीद है।

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की विशेषज्ञ आकलन समिति की बैठक 19 दिसंबरको दिल्ली में होने जा रही है और उसके एजेंडा में दुलहस्ती जल विद्युत परियोजना द्वितीय से संबधित पर्यावरण मंजूरी भी शामिल है।पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मंजूरी के बिना परियोजना पर काम शुरु नहीं हो सकता। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

260 मेगावाट की क्षमता वाली दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना द्वितीय भी जिला किश्तवाड़ में ही बनाई जाएगी और इनकी अनुमानित लागत लगभग 3300 करोड़ रूपये है। प्रस्तावित परियोजना दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना-एक का ही विस्तार है।

दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना-एक की खमता 390 मेगावाट है और यह वर्ष 2007 से पूरी तरह से क्रियाशील है। दुलहस्ती जलविद्युत परियोजना - द्वितीय भी पहली परियोजना की तरह रन-आफ-द-रिवर परियोजना है।
चिनाब दरिया पर नहीं बनाया जाएगा कोई नया बांध

संबधित अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित परियोजना भी राष्ट्रीय जलविद्युत निगम एनएचपीसी द्वारा बिल्ड, ओन, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बूट-बीओओटी) के आधार पर कार्यान्वित की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के लिए एनएचपीसी और जम्मू कश्मीर सरकार ने तीन जनवरी 2021 को आपसी सहमति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

प्रस्तावित परियोजना के लिए चिनाब दरिया पर कोई नया बांध नहीं बनाया जाएगा बल्कि मौजूदा दुलहस्ती परियोजना-एक के बांध व अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल किया जाएगा। प्रस्तावित परियोजना के लिए एक हेडरेस टन्नल (वह सुरंग जो पानी को पावरहाउस तक ले जाती है), एक पावरहाउस, और एक टेल रेस टनल (वह सुरंग जो पानी को पावरहाउस से वापस नदी में ले जाती है) बनाई जाएगी।
अगले छह वर्षों के भीतर तैयार हो जाएगा प्रोजेक्ट

उन्होंने बताया कि दुलहस्ती परियोजना द्वितीय के निर्माण को लेकर विभिन्न लोगों ने अपनी शंकाएं जाहिर की थी। इसके आधार पर गठित एक समिति ने प्रस्तावित परियोजना से स्थानीय पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव, इसकी स्थलाकृति, स्थानीय लोगों की चिंताओं समेत विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की और मौके पर जाकर स्थिति का भी जायजा लिया।

इसके बाद उसने अपनीरिपोर्ट संंबधित प्रशासन को सौंपी और अब केंद्रीय वन,पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय की विशेषज्ञ आकलन समिति उक्त रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए, पूरी परियोजना व उसके पर्यावरण संंबंधी मुद्दों का जायजा लेगी।

बैठक में समिति पर्यावरण प्रभाव आकलन, जनसुनवाई और मंत्रालय द्वारा उठाए गए सवालों के आधार पर की गई गई कार्रवाई और परियोजना से संबधित अदालत के दिशा निर्देशों पर भी चर्चा करेगा और तदनुसार अपना फैसला सुनाएगी। संबधित अधिकारियोंने बताया कि प्रस्तावित परियोजनाअ को अगले छह वर्ष पूरी तरह से क्रियाशील बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
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