LHC0088 Publish time 2025-12-10 20:37:59

किसानों को आधुनिक खेती का पाठ... अमनौर में आयोजित किसान पाठशाला में फसल बुआई से लेकर कीट प्रबंधन तक सीखे किसान

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25 किसानों ने प्रशिक्षण लिया



संवाद सहयोगी, अमनौर(सारण)।अमनौर प्रखंड की ढोरलाही कैथल और हुस्सेपुर पंचायत में आठवार पौधा संरक्षण योजना के तहत किसान पाठशाला आयोजित की गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुप्रिया रानी ने किया, जबकि कृषि समन्वयक अविनाश कुमार समेत मो. शरीफ अंसारी व अन्य किसान सलाहकार भी उपस्थित रहे। संयुक्त सचिव कृषि विभाग के निर्देशानुसार आयोजित इस पाठशाला का उद्देश्य किसानों को रबी सीजन की फसलों की बुआई, अंकुरण, पौधा संरक्षण, उपादान वितरण और समेकित कीट प्रबंधन (आईपीएम) से अवगत कराना था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

पाठशाला का पहला सत्र सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। चुने हुए 25 किसानों ने प्रशिक्षण लिया, जिसमें बीज ऑपचार, कीट पहचान, जैविक कीटनाशी व फफूंदनाशी का उपयोग, बीज-उर्वरक सामग्री का चयन व उपयोग समेत खेत में प्रत्यक्षण का अनुभव प्राप्त किया।

प्रत्यक्षण कार्यक्रम प्रखंड के रामस्नेही सिंह के खेत में आयोजित किया गया, जिससे किसानों ने उपयोगी आधुनिक कृषि तकनीकों को नजदीक से देखा तथा समझा।

प्रखंड की तीन पंचायत, पैगा मित्र सेन, ढोरलाही कैथल और हुस्सेपुर, में यह पाठशाला आयोजित की गई। प्रशिक्षण लेने वाले किसानों को उनके एक-एकड़ खेत के लिए मुफ्त में बीज, जैविक उर्वरक, कीटनाशी, फफूंदनाशी और ट्रैप जैसी आवश्यक सामग्री मुहैया कराई गई।

इसके अलावा, फसल की छह प्रमुख अवस्थाओं के अनुसार प्रत्येक किसान को विशेष \“आईपीएम कीट किट\“ भी प्रदान की जाएगी, ताकि वे आगे अपने खेतों में सही तरीके से इनका उपयोग कर सकें।

प्रत्येक सत्र की अवधि चार घंटे निर्धारित की गई है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुप्रिया रानी ने बताया कि अगला सत्र 21 एवं 22 दिसंबर को आयोजित किया जाएगा, जिसमें योजना के तहत और किसानों को शामिल किया जाएगा।

इस बार प्रशिक्षण में शामिल किसानों में विशेश्वर सिंह, शंभू सिंह, जयकांत शर्मा, अवधेश सिंह, मनोकामना सिंह, नंद किशोर प्रसाद, गणेश साह, टीमन साह, प्रीत साह समेत कई ग्रामीण शामिल रहे।

किसान पाठशाला से जुड़े लोगों का मानना है कि ऐसे कार्यक्रमों से न सिर्फ फसलों की पैदावार बेहतर होगी, बल्कि रसायनों के कम उपयोग से खेतों की मिट्टी व पर्यावरण भी संरक्षित रहेंगे।

आधुनिक कृषि तकनीक और समेकित कीट प्रबंधन से किसान आर्थिक व पारिस्थितिक सुरक्षा दोनों पा सकते हैं। आने वाले सत्रों में अधिक किसानों को जोड़ने की योजना से उम्मीद है कि अमनौर प्रखंड में रबी फसल अधिक सफल व लाभकारी साबित होगी।
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