Chikheang Publish time 2025-12-11 02:38:03

भाईचारे की अद्भुत मिसाल... NDA के जवानों ने दिवंगत साथी की बहन की पूरी कराई पढ़ाई

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NDA के जवानों ने दिवंगत साथी की बहन की पूरी कराई पढ़ाई। सांकेतिक फोटो



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के जवानों ने अद्भुत भाईचारे की मिसाल पेश की है। दिवंगत कैडेट प्रथम महाले के साथियों ने मिलकर आर्थिक मदद की और उनकी छोटी बहन रुजुता की पढ़ाई पूरी कराई। 16 अक्टूबर 2023 में बॉक्सिंग चैंपियनशिप के दौरान सिर में गंभीर चोट लगने के बाद प्रथम का निधन हो गया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

वे प्रतिष्ठित आस्कर स्क्वाड्रन के स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन थे। इस दुखद घटना के बाद परिवार सदमे में चला गया। साथी कैडेटों ने प्रथम के उस सपने को साकार करने के लिए एकजुट हुए हैं, जिसमें वह अपनी बहन को मेडिकल की शिक्षा पूरी करते देखना चाहते थे।

प्रथम के पिता, गोरख महाले ने बताया कि अपनी-अपनी सशस्त्र सेवाओं में कमीशन प्राप्त करने के बाद इन सहपाठियों ने एक बार फिर हमसे संपर्क किया। उन्होंने हमें देहरादून में आयोजित आइएमएस पिपिंग और पीओपी (पासिंग ग आउट परेड) समारोह में आमंत्रित किया और जलगांव स्थित हमारे घर भी आए।

जब प्रथम एनडीए में थे, उनकी बहन रुजुता मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए नीट की तैयारी कर रही थीं। गोरख महाले ने बताया कि उस दुखद घटना के बाद हम सभी सदमे में डूब गए और इसका असर रुजुता की तैयारी पर पड़ा।
प्रथम के सहपाठी नियमित रूप से भेजते थे 30-35 हजार रुपये

प्रथम के सहपाठियों ने आगे आकर रुजुता को अपनी तैयारी जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने हमें भरोसा दिलाया कि प्रथम भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे उनके साथ मजबूती से खड़े हैं। उनकी बेटी ने अपनी तैयारी फिर से शुरू की और नीट परीक्षा दी।

उन्होंने बताया कि रुजुता की मदद के लिए प्रथम के सहपाठी नियमित रूप से मेरी पत्नी के खाते में 30,000 से 35,000 रुपये भेजते थे। जब रुजुता को बरेली के एक मेडिकल कोर्स में दाखिला मिल गया, तो उनके सहपाठियों ने परिवार को भरोसा दिलाया कि उन्हें पैसों की चिंता करने की जरूरत नहीं है।

मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने और सबने मिलकर रुजुता के दाखिले के लिए करीब 30,000 रुपये जमा किए। उन्होंने आगे कहा कि प्रथम के प्रति निरंतर स्नेह दिखाने वाले इन युवा अधिकारियों के इस भाव से हम अभिभूत हैं।
प्रथम हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उन्हें अपने दिलों में जीवित रखेंगे: सहपाठी

प्रथम के एक सहपाठी, जो अब चंडीगढ़ में तैनात फ्लाइंग आफिसर हैं और जिन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की बात कहते बताया कि प्रथम अक्सर अपने माता-पिता और अपनी बहन के बारे में बात करते थे, जो मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी।

कमीशन मिलने के बाद, हमने उनके परिवार का समर्थन करने का फैसला किया। हम हर महीने थोड़ी-थोड़ी राशि देते हैं और जब भी संभव होता है, उनसे मिलने जाते हैं और उनके साथ समय बिताते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रथम आज हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन हम उनके परिवार के साथ खड़े रहकर और उन्हें भावनात्मक रूप से सहारा देकर उन्हें अपने दिलों में जीवित रखेंगे।
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