फर्जी IAS बनकर ठगी, फिर GST चोरी: सिद्धार्थ पांडे का डबल क्राइम, पुलिस दोबारा लेगी रिमांड
/file/upload/2025/12/2422371300684005773.webpप्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, शाहजहांपुर। बोगस फर्म बनाकर आइटीसी के जरिए रकम हड़पने वाले गिरोह का सदस्य सिद्धार्थ पांडेय बेहद शातिर है। प्रयागराज में रहने के दौरान वह स्वयं आइएएस व आइपीएस बनकर लोगों को काल करता था। एक मुकदमे में नाम निकलवाने के लिए उसने 30 हजार रुपये ठग लिए थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
भेद खुलने पर उसे जेल भेजा गया, लेकिन वहां से बाहर आने के बाद गौरव के साथ मिलकर जीएसटी में फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया। बुधवार को दोनों आरोपितों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई, जिसमें दिल्ली निवासी दो अन्य आरोपितों के नाम सामने आए। इसके अतिरिक्त पुलिस को कई अहम जानकारियां मिलीं हैं।
मई माह में रोजा की लोकविहार कालोनी में सर्वश्री सिंह इंटरप्राइजेज के जरिए 10.78 करोड़ की जीएसटी चोरी का मामला सामने आया था। इस प्रकरण में सहायक आयुक्त भावना चंद्रा ने फर्म के स्वामी इटावा निवासी मंदीप सिंह के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। गैंग्सटर सेल प्रभारी वीरेंद्र सिंह ने जांच शुरू की तो गौरव, दीपक व सिद्धार्थ के नाम सामने आए थे जो इंटरनेट पर लोन का झांसा देकर लोगों के अभिलेख हासिल करते थे और उनके आधार पर बोगस फर्म बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) के रूप में मिलने वाली रकम हड़प लेते थे।
पांच दिसंबर को वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एसआइटी ने दिल्ली निवासी गौरव यादव, दीपक व प्रयागराज निवासी सिद्धार्थ पांडेय को रोजा के सुभाष चौराहे के पास गिरफ्तार करके जेल भेजा गया था। मंगलवार को गौरव व सिद्धार्थ को एसीजेएम ने चौबीस घंटे की रिमांड मंजूर की थी, जिसकी अवधि बुधवार शाम पूरी होने पर दोनों को वापस जेल भेज दिया गया।
इससे पहले पूछताछ में दोनों ने पुलिस को कई अहम जानकारी दीं। गिरोह के दो सदस्यों के नाम भी सामने आए हैं जो दिल्ली के रहने वाले है। जांच में सिद्धार्थ के बारे में जानकारी सामने आईं हैं। वह प्रयागराज में आइएएस व आइपीएस बनकर अधिकारियों को फोन करता था। वर्ष 2020 में उसने अनुसूचित जाति अधिनियम से संबंधित एक मुकदमे में आरेापित का नाम मुकदमे से निकलवाने को 30 हजार रुपये ले लिए।
जब उसने काल की तो पुलिस ने शक होने पर ट्रेस करके उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके दो रिश्तेदारों को भी पकड़ा गया था। उसके पास से अधिकारियों के पदनाम की फर्जी मुहर भी बरामद हुईं थीं। जिसके बाद तीनों को दो माह के लिए जेल भेजा गया था। वहां से बाहर आने के बाद वह दिल्ली चला आया और गौरव के साथ मिलकर जीएसटी में बोगस फर्म बनाकर फर्जीवाड़ा करने लगा।
उसने अपने नाम से दो फर्म बनाईं थीं। जबकि गौरव ने पड़ोसी के नाम से भी बोगस फर्म तैयार कर दी थी। गैंग्सटर सेल प्रभारी वीरेंद्र सिंह ने बताया कि आरोपितों को जेल भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली के दो और आरोपितों के नाम सामने आए हैं। उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। पूछताछ के लिए आरोपितों को दोबारा रिमांड पर लिया जाएगा।
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