अहमदाबाद से दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में चलाते थे साइबर ठगी का काला कारोबार, चार जालसाज गिरफ्तार
/file/upload/2025/12/7375365011258993285.webpसांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी पूर्वी दिल्ली की साइबर थाने की टीम ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो अहमदाबाद से बैठकर दिल्ली एनसीआर समेत देश के विभिन्न राज्यों से चल रहे ठगों का साथ देते थे। ठगी की रकम को अपने क्रेडिट कार्ड एकाउंट में सेटेल कराते थे। इसकी एवज में कुल रकम का पांच प्रतिशत कमीशन लेते थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पुलिस ने अहमदाबाद से चार जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के कब्जे से छह मोबाइल फोन, छह डेबिट कार्ड और आठ सिम बरामद की। आरोपितों की एनसीआरपी पर दर्ज साइबर ठगी के 163 मामलों में संलिप्तता भी सामने आयी।
NCRP पर कराई थी शिकायत
साइबर शाखा के एसीपी विजय कुमार ने बताया कि पालम कालोनी के रहने वाले अरविंद कुमार ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर शिकायत पंजीकृत कराई थी कि कुछ लोगों ने आनलाइन धोखाधड़ी करके उससे 16 लाख रुपये की ठगी कर ली है।
ठगों ने अलग अलग तरीके से अलग अलग बार में सारी रकम विभिन्न खातों में जमा कराई थी। यह शिकायत दक्षिणी पूर्वी दिल्ली साइबर शाखा के पास पहुंची तो एसीपी विजय कुमार की देखरेख में इस केस की गहनता से जांच की। शिकायतकर्ता अरविंद कुमार ने पुलिस को बताया कि ठगों ने सबसे पहले उसे 71 एबाट नामक एक व्हाट्स ग्रुप पर जोड़ा था।
उसी ग्रुप के एडमिने ने 300 फीसद मुनाफा देने की बात कहकर निवेश करने की बात कही। ग्रुप में पहले से मौजूद सदस्य इस तरह के संदेश भेज रहे थे, जो ये साबित कर रहे थे कि उन्हें भी काफी मुनाफा हुआ है। पुलिस ने सबसे पहले उसी व्हाट्स एप ग्रुप के क्रिएशन और संदिग्ध नंबरों की डिटेल निकाली।
अहमदाबाद के बैंक अकाउंट में पहुंचे पैसे
इसके बाद उन खातों का विवरण लिया, जिसमें पैसे डलवाए और निकाले गए। शिकायतकर्ता के 16 लाख रुपये सबसे अंत में अहमदाबाद के यूको और आरबीएल बैंक ट्रांसफर होते हुए एडीएफसी बैंक में पहुंचे थे। एचडीएफसी बैंक खाते के हेंडलर का नाम मनीष कोष्टी था, जो अहमदाबाद के वासना में रहता था।
पुलिस ने सबसे पहले उसी को दबोचा और बाद में उसके तीन अन्य साथियों मोहम्मद जैद, मोहम्मद एजाज और शेख अबरार को पकड़ा। इन चारों ने बताया कि उनका संबंध देश भर के कई साइबर ठगों से हैं। वे लोग ठगी की रकम को सेटल कराने के लिए उनके बताए तरीके से बैंक खातों में पैसा जाम करते थे।
इस सेवा की बदौलत वे ठगों से पांच प्रतिशत रुपये कमाते थे। पुलिस की जांच अभी जारी है। इस गिरोह के कई और सदस्य अभी पकड़े जाने बाकी है।
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