deltin33 Publish time 2025-12-11 19:37:23

20 साल से बांस की चचरी पर टिकी हजारों जिंदगियां, खत्म नहीं हो रहा पुल का इंतजार

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बांस की चचरी पर टिकी हजारों जिंदगियां



संवाद सूत्र, राघोपुर (सुपौल)। एक तरफ जहां देश बुलेट ट्रेन और एक्सप्रेस-वे की बातें कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ जिले की एक तस्वीर विकास के तमाम दावों को मुंह चिढ़ाती नजर आती है। यहां आज भी हजारों लोगों की जिंदगी बांस की बनी अस्थाई चचरी पर टिकी हुई है।विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

मामला जिले के राघोपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत देवीपुर पंचायत के कोरियापट्टी वार्ड 7 का है, जहां बेरदह धार पर पुल न होने के कारण ग्रामीण जान हथेली पर रखकर सफर करने को मजबूर हैं।
7 किलोमीटर का सफर और चचरी की मजबूरी

कोरियापट्टी गांव के लोगों का दर्द यह है कि मुख्य मार्ग गणपतगंज तक जाने के लिए उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। अगर वे सुरक्षित रास्ता किसनपुर-गणपतगंज पथ चुनते हैं, तो उन्हें 6 से 7 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है।

वहीं अगर बेरदह धार पर पक्का पुल बन जाए, तो यह दूरी सिमटकर मात्र 1 से डेढ़ किलोमीटर रह जाएगी। समय और ईंधन की इसी बर्बादी से बचने के लिए स्कूली बच्चे, बुजुर्ग और मरीज खतरनाक चचरी के सहारे नदी पार करने को विवश हैं।
जनता के चंदे से खड़ा हुआ सिस्टम का विकल्प

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि पिछले 20-25 वर्षों से गांव वाले इसी हाल में जी रहे हैं। पहले लोग तैरकर नदी पार करते थे। जब प्रशासन ने सुध नहीं ली, तो थक-हारकर ग्रामीणों ने खुद ही चचरी का निर्माण किया।

हर साल चन्दा और मेहनत कर नई चचरी बनाई जाती है। लेकिन बारिश के मौसम में जब नदी उफान पर होती है, तब इस पर चलना मौत को दावत देने जैसा होता है।

विडंबना यह है कि धार के दोनों तरफ सड़कें बनी हुई हैं, लेकिन बीच में पुल नदारद है। यह अधूरी सड़क सिस्टम की लापरवाही का जीता-जागता सबूत है।

स्थानीय निवासी मनोज कुमार मेहता बताते हैं कि ग्रामीणों ने कई बार स्थानीय विधायक और सांसद से पुल निर्माण की गुहार लगाई, आवेदन दिए, लेकिन अब तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला।
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