Chikheang Publish time 2025-12-11 22:37:15

लखपति बन रहीं दीदियां, 4.5 लाख ग्रामीण महिलाओं ने बदली गांवों की तस्वीर

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जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। Lakhpati Didi scheme: जिले की महिलाएं अब सिर्फ घर तक सीमित नहीं रहीं। दो वर्ष पूर्व तक जो महिलाएं आर्थिक निर्भरता और समाज की बाधाओं के कारण घर से बाहर कदम रखने में हिचकिचाती थीं, आज वही महिलाएं अपनी मेहनत और संकल्प से घर-परिवार और समाज में बदलाव ला रही हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

समस्तीपुर जिले में लगभग 4 लाख 50 हजार महिलाओं ने सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत व्यवसाय शुरू कर अपनी आय दोगुनी की है और एक लाख से अधिक महिलाएं लखपति दीदी की श्रेणी में आ चुकी हैं।
आर्थिक सशक्तिकरण और रोज़गार के अवसर

जीविका योजना के तहत महिलाओं को न केवल व्यवसाय के लिए ऋण और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया गया, बल्कि उन्हें वित्तीय प्रबंधन, मार्केटिंग और उत्पाद निर्माण की जानकारी भी दी गई। जिले के कुल 3452 ग्राम संगठन से जुड़ी 635896 जीविका दीदी अपने जीवन को उन्नत बनाने की जद्दोजहद में लगी है।

इस योजना के प्रभाव से महिलाओं की मासिक आमदनी चार हजार से बढ़कर आठ हजार रुपये तक पहुंच गई है। कई महिलाओं ने किराना दुकान, सब्जी विक्रय, पशुपालन, डेयरी व्यवसाय और आटा चक्की जैसे व्यवसाय शुरू किए हैं।
सफलता की मिसाल

बाजितपुर की सुनीता देवी ने जीविका समूह से जुड़कर अपनी छोटी किराना दुकान शुरू की, जो अब गांव में भरोसेमंद केंद्र बन गई है। उनकी मासिक आमदनी अब 9 हजार से 10 हजार रुपये तक पहुंच चुकी है।

वहीं, विद्यापतिनगर प्रखंड की नसीमा खातून ने तीन गायों के साथ शुरू किया डेयरी व्यवसाय अब मिनी डेयरी में बदल चुका है। उन्हें स्थानीय बाजारों में नियमित दूध आपूर्ति के ऑर्डर मिल रहे हैं।
सामाजिक बदलाव और प्रभाव

महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने से न केवल उनके घरों की स्थिति सुधरी है, बल्कि समाज में उनकी प्रतिष्ठा भी बढ़ी है। बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और घर के निर्णयों में इन महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि आर्थिक स्वतंत्रता महिलाओं को समाज में सशक्त और सम्मानित बनाती है।
भविष्य की दिशा

समस्तीपुर जिले में जीविका योजना के तहत महिलाओं को प्रेरित करने और उनका मार्गदर्शन करने का काम निरंतर जारी है। योजना का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आय आधारित गतिविधियों से जोड़कर आर्थिक आत्मनिर्भर बनाना है। योजना के तहत मिली सफलता ने यह संदेश दिया है कि सीमित संसाधनों में भी यदि सही अवसर और मार्गदर्शन मिले तो महिलाएं समाज और परिवार में बदलाव ला सकती हैं।
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