Chikheang Publish time 2025-12-11 23:07:19

फेंसेडिल कफ सीरप की तस्करी करने वाले सगे भाईयों को STF ने दबोचा, दुबई से नौकरी छोड़कर गिरोह में हुए थे शामिल

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जागरण संवाददाता, लखनऊ। नशे में इस्तेमाल होने वाली फेंसेडिल कफ सीरप की तस्करी करने वाले दो सगे भाइयों को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गुरुवार को मवैया से गिरफ्तार किया। दोनों 65 फर्जी फर्मों की मदद से भारी मात्रा में कफ सिरप की अवैध खरीद-फरोख्त कर उसे देश के विभिन्न राज्यों होते हुए बांग्लादेश तक सप्लाई करा रहे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

एसटीएफ के एएसपी लाल प्रताप सिंह के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपित सहारनपुर के सदर बाजार स्थित कपिल बिहार निवासी अभिषेक शर्मा और शुभम शर्मा हैं। उन्हें मवैया टेढ़ी पुलिया तिराहे से गिरफ्तार किया गया। आरोपितों के पास से दो मोबाइल और फर्जी फर्म से जुड़े 31 दस्तावेज बरामद किए गए हैं।

पूछताछ में पता चला कि गिरोह 2019 से फर्जी फर्में बनाकर एबाट कंपनी के फेंसेडिल कफ सीरप को कागजों में एक राज्य से दूसरे राज्य बेचता दिखाता था, जबकि असली माल को तस्करों को सौंप दिया जाता था। यह माल बिहार-झारखंड-पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजा जाता था। चार्टर्ड अकाउंटेंट अरुण सिंघल गिरोह के लिए बोगस फर्में तैयार करता था। सहारनपुर, रुड़की और उत्तराखंड में दर्जनों फर्जी फर्मों के नाम सामने आए हैं।

गिरोह ने करीब 65 फर्मों के जरिये फर्जी बिलिंग दर्शाई। अभिषेक ने बताया कि वह जीआर ट्रेडिंग से लेकर मारुति मेडिकोज और एवी फार्मास्यूटिकल्स तक कई फर्मों के संचालन और बैंकिंग का जिम्मेदार था। विशाल सिंह, विभोर राणा, सौरभ त्यागी और अन्य सहयोगियों से मिलीभगत कर वह तस्करी का पूरा नेटवर्क संचालित करता था। 2024 में लखनऊ में एसटीएफ द्वारा पकड़ी गई फेंसेडिल खेप भी इसी गिरोह से जुड़ी पाई गई थी।
पश्चिम बंगाल कनेक्शन की खोज जारी

पूछताछ में दोनों ने पश्चिम बंगाल में सक्रिय दो तस्करों के नाम भी बताए हैं। एसटीएफ उनकी भूमिका की जांच कर रही है। दोनों के खिलाफ थाना सुशांत गोल्फ सिटी में मुकदमा दर्ज करवाया गया है। अभिषेक शर्मा के खिलाफ गाजियाबाद में एनडीपीएस एक्ट समेत अन्य गंभीर धाराओं में भी मामले दर्ज हैं। एसटीएफ के मुताबिक, यह नेटवर्क व्यापक था और कई अधिकारियों व दवा डिस्ट्रीब्यूशन चैन में गहरी जड़ें जमाए बैठा था। आगे की कार्रवाई तेजी से जारी है।
दुबई से नौकरी छोड़कर इस गिरोह में हुआ शामिल

पूछताछ में शुभम ने बताया कि वह दुबई में अच्छी नौकरी करता था, लेकिन उसने नौकरी छोड़कर भारत लौट आया। उसके बड़े भाई और गिरोह के सदस्यों ने उसके नाम पर फर्म बनाकर उसे तस्करी के खेल में शामिल कर लिया। उसे हर महीने करीब एक लाख रुपये दिए जाते थे।
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