cy520520 Publish time 2025-12-12 00:37:22

6 साल पुराने NPA से CBI की FIR तक... कैसे लोन का पैसा हुआ डायवर्ट, जय अनमोल का नाम कैसे आया? ये है अंदर की पूरी कहानी

/file/upload/2025/12/3882168904613379418.webp

6 साल पुराने NPA से CBI की FIR तक... कैसे लोन का पैसा हुआ डायवर्ट, जय अनमोल का नाम कैसे आया? ये है अंदर की पूरी कहानी



नई दिल्ली| अनिल अंबानी के बड़े बेटे जय अनमोल अंबानी (Jai Anmol Ambani) के खिलाफ CBI ने 6 दिसंबर 2025 को बड़ी कार्रवाई करते हुए धोखाधड़ी, फंड डायवर्जन और आपराधिक साजिश के आरोपों में FIR दर्ज की है। यह केस इसलिए बड़ा है, क्योंकि जिस लोन को 2019 में NPA घोषित किया गया था, उसकी जांच अब सीधे अनमोल अंबानी तक पहुंच गई है। FIR के मुताबिक, बैंक का 228.06 करोड़ रुपए का सार्वजनिक पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल हुआ। यह FIR यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम अनूप विनायक ताराले की शिकायत पर दर्ज हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कहानी की शुरुआत: कैसे मिला लोन?

रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) ने 2015 में तत्कालीन आंध्रा बैंक (अब यूनियन बैंक) से 450 करोड़ रुपए की टर्म लोन सुविधा ली। यह लोन बिजनेस जरूरतों, होम लोन, लोन अगैन्स्ट (LAP), कंस्ट्रक्शन फाइनेंस के नाम पर लिया गया था। बैंक ने सुरक्षा के तौर पर कंपनी के बुक डेब्ट्स और रेसीवेबल्स पर चार्ज बनाया था। लोन समय पर चुकता न होने पर यह खाता 30 सितंबर 2019 को एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) घोषित हुआ।
सामने आया असली खेल: पैसा गया कहां?

साल 2016 से 2019 के बीच RHFL में फंड डायवर्जन का शक होने पर बैंक ने ग्रांट थॉर्नटन (GT) से फॉरेंसिक ऑडिट कराई, जिसमें दो बड़े खुलासे हुए। पहला खुलासा था कि 12,573 करोड़ रुपए ऐसे संस्थानों को दिए गए जिन्हें PILE कहा गया यानी पॉटेंशियली इनडायरेक्ट्ली लिंक्ड एंटिटीज। इनमें से 86% कॉरपोरेट लोन ऐसी कंपनियों को दिए गए जिनका RHFL के कोर बिजनेस से लेना-देना कम था। कई कंपनियों की वित्तीय क्षमता कमजोर थी, फिर भी उन्हें बड़ा लोन दिया गया। और दूसरा खुलासा था कि डायवर्जन का तरीका- आखिर किस-किस कंपनी में गया पैसा?

FIR और ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, RHFL का पैसा कई रिलायंस समूह की कंपनियों में घुमाया गया, जिनका लोन से कोई सीधा संबंध नहीं थाः
कंपनी का नाम लिंक FIR में भूमिका



   कंपनी का नाम
   लिंक
   FIR में भूमिका


   रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड
   ग्रुप एंटिटी
   RHFL से मिले फंड यहां भेजे गए


   रिलायंस टेलिकॉम लिमिटेड
   ग्रुप एंटिटी
   फंड ट्रांसफर और कर्ज चुकाने में उपयोग


   रिलायंस कम्युनिकेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
   ग्रुप कंपनी
   PILE रूट के जरिए फंड पहुंचा


   केएम टोल रोड प्राइवेट लिमिटेड
   इंफ्रा लिंक
   पास-थ्रू रूट में उपयोग


   रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड
   डिफेंस-शिपयार्ड
   अप्रत्यक्ष लेन-देन के जरिए पैसा पहुंचा




ये सभी नाम FIR की Annexure-A में दर्ज हैं।
पहला बड़ा सवालः पैसा कैसे घूमाया जाता था?

फॉरेंसिक ऑडिट में बताया गया है कि 40% पैसा (3,573 करोड़) इन ग्रुप कंपनियों के बकाया कर्ज चुकाने में लगा। 18% पैसा (1,610 करोड़) सर्कुलर ट्रांजैक्शन में इस्तेमाल हुआ। यानी पैसा घूमकर वापस RHFL में आ गया, ताकि नकली बिजनेस वॉल्यूम दिखाया जा सके। 9% पैसा फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड में पार्क किया गया। 22% फंड का पता ही नहीं चल पाया। ऑडिट के मुताबिक, यह रकम ट्रेस नहीं हो पाई।

यह भी पढ़ें- अनिल अंबानी की रिलायंस पावर और इन्फ्रा के शेयरों में बड़ी गिरावट, बेटे के खिलाफ CBI के एक्शन से सहमे शेयर
दूसरा बड़ा सवालः आखिर कौन-कौन जिम्मेदार?

एफआईआर के मुताबिक, RHFL के पूर्व डायरेक्टर जय अनमोल अंबानी और पूर्व सीईओ व डायरेक्टर रविंद्र सुधालकर मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। एफआईआर में एक अनजान साथी और दूसरे अनजान सरकारी अधिकारी का भी जिक्र है। हालांकि, एफआईआर में उनका नाम नहीं लिखा गया है। बैंक के मुताबिक, ये लोग RHFL के दैनिक कामकाज और फंड फैसलों के लिए जिम्मेदार थे। आरोप है कि इन्होंने मिलकर सिस्टमैटिक तरीके से फंड डायवर्ट किए।
बड़ा खुलासाः आखिर कैसे हुआ पर्दाफाश?

लोन फ्रॉड की पुष्टि के बाद बैंक ने 10 अक्टूबर 2024 को अनमोल अंबानी और सुधालकर को फ्रॉड आरोपी घोषित किया। 16 अक्टूबर 2024 को मामला RBI को रिपोर्ट किया गया। 13 नवंबर 2025 को FIR की आधिकारिक शिकायत CBI को भेजी गई। इस शिकायत को आधार बनाकर 6 दिसंबर 2025 को CBI ने FIR दर्ज की।
कई सालों तक चलता रहा कर्ज छिपाने का मॉडल

6 साल पहले जो लोन NPA हुआ, वह धीरे-धीरे देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट फंड डायवर्जन मामलों में बदल गया। CBI की FIR से साफ है कि बैंक का पैसा घर बनाने वाले ग्राहकों को देने के बजाय कॉरपोरेट रूट से ग्रुप कंपनियों को भेजा गया। RHFL के शीर्ष अधिकारी, जिनमें जय अनमोल अंबानी भी शामिल हैं, इन फैसलों में सीधे शामिल बताए गए।

फंड डायवर्जन, सर्कुलर ट्रांजैक्शन, और कर्ज छिपाने का पूरा मॉडल कई साल तक चलता रहा। अब मामला CBI के पास है और जांच यह तय करेगी कि इतने बड़े फंड डायवर्जन का मास्टरमाइंड कौन था और जिम्मेदारी किसकी है।
Pages: [1]
View full version: 6 साल पुराने NPA से CBI की FIR तक... कैसे लोन का पैसा हुआ डायवर्ट, जय अनमोल का नाम कैसे आया? ये है अंदर की पूरी कहानी

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com