cy520520 Publish time 2025-12-12 01:07:08

सावधान... केवल छह घंटे की नींद है ‘धीमी बीमारी’, मस्तिष्क में जमा हो रहे टॉक्सिन, बढ़ रही स्ट्रोक-अल्जाइमर की आशंका

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डिजिटल डेस्क, इंदौर। बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना का एक वीडियो इन दिनों खूब प्रसारित है, जिसमें वह बताते हैं कि उनकी नींद अधिकतम छह घंटे ही हो पाती है। यह बात भले ही सामान्य लगे, लेकिन चिकित्सा विशेषज्ञ औसतन छह घंटे की नींद युवाओं के लिए गंभीर खतरे का संकेत मान रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कम नींद के खतरे

विशेषज्ञों का कहना है कि छह घंटे की नींद को सामान्य मानना एक भ्रम है। कम नींद दिमाग और शरीर पर धीमे जहर की तरह असर डालती है। इसका तात्कालिक प्रभाव एकाग्रता में कमी, कमजोर निर्णय क्षमता, मूड में बदलाव और धीमे रिएक्शन टाइम के रूप में दिखता है, जबकि भीतर ही भीतर इम्यून सिस्टम कमजोर और हार्मोनल संतुलन बिगड़ता जाता है। इसी वजह से आगे चलकर अल्जाइमर, डिमेंशिया और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

इंदौर में आयोजित न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की 73वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस ‘एनएसआईकॉन-2025’ में सम्मिलित हुए विशेषज्ञों ने कम नींद को चिंताजनक बताया। उनका सुझाव सात से आठ घंटे की औसत नींद का है।
यह कहते हैं विशेषज्ञ

एनएसआईकॉन में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में 33 वर्ष सेवाएं दे चुके प्रोफेसर सुरेश्वर मोहंती ने कहा कि शरीर और दिमाग दोनों की मरम्मत का असली समय रात की नींद ही होता है। जब व्यक्ति लगातार छह घंटे से कम या केवल छह घंटे की नींद पर निर्भर रहता है, तो हृदय व मस्तिष्क संबंधी जोखिम बढ़ जाते हैं। उनका मानना है कि एक स्वस्थ आदमी को सात से आठ घंटे की नींद अवश्य लेनी ही चाहिए, ताकि उसका ब्रेन अपनी पूरी क्षमता से काम कर सके और मेटाबॉलिज्म संतुलित रहे।
नींद शरीर का रीसेट बटन

फोर्टिस मोहाली में न्यूरोसर्जरी विभाग के निदेशक डा. वीके खोसला के अनुसार, लोग समझते हैं कि कम सोने से प्रोडक्टिविटी बढ़ती है, लेकिन यह बिल्कुल गलत है। नींद शरीर का रीसेट बटन है, अगर इसे कम कर देंगे, तो सेहत को नुकसान ही होगा। वह सुझाव देते हैं कि रोज कम से कम 7 से 9 घंटे की अच्छी नींद से सेहत भी ठीक रहती है और काम करने की क्षमता भी बेहतर होती है।
ऐसे नुकसान पहुंचाती है सिर्फ छह घंटे की नींद

[*]दिमाग में टॉक्सिन : ग्लिम्फेटिक सिस्टम पूरी सफाई नहीं कर पाता।
[*]कमजोर याददाश्त : प्रीफ्रंटल कार्टेक्स की गतिविधि घटती है। इसका असर सोचने-समझने पर पड़ता है। स्मरणशक्ति और निर्णय क्षमता कमजोर हो जाती है।
[*]स्ट्रोक का खतरा : कम नींद लेने वालों में स्ट्रोक का जोखिम कई गुना अधिक होता है।
[*]मूड स्विंग व तनाव: सेरोटोनिन-डोपामिन गड़बड़ाते हैं, एंग्जायटी-डिप्रेशन बढ़ता है।
[*]इम्यून सिस्टम कमजोर : साइटोकाइन्स कम बनते हैं, संक्रमण जल्दी पकड़ता है।
[*]दिमाग जल्दी बूढ़ा होता है : न्यूरान डैमेज और ग्रे मैटर लास तेज होता है।

आदर्श नींद की अवधि

[*]सामान्य व्यक्ति (18-60 वर्ष): 7 से 9 घंटे प्रतिदिन
[*]वरिष्ठ नागरिक (60+): 7 से 8 घंटे
[*]किशोर (13-18 वर्ष): 8 से 10 घंटे


(स्रोत- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद)


जिससे प्यार करते हो, उसे सोने दो...
मुझे सोना पसंद है। अगर आप किसी से वाकई प्यार करते हो, तो उसे सोने दो। नींद से उठाने वाला आपका सबसे बड़ा दुश्मन हो सकता है। मैं छह घंटे से ज्यादा नहीं सो पाता हूं।
- आयुष्मान खुराना, अभिनेता
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