cy520520 Publish time 2025-12-12 04:07:02

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों के परिजन को मिलेगा 50 लाख का बीमा

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सुप्रीम कोर्ट का निजी डाक्टरों के हित में फैसला



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान ड्यूटी करते हुए जान गंवाने वाले निजी डॉक्टरों के परिवार \“\“प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना\“\“ (पीएमजीकेवाई) के तहत 50 लाख रुपये के बीमा कवरेज के हकदार हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने बांबे हाईकोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया जिसमें यह माना गया था कि निजी डाक्टर सरकार की बीमा योजना के तहत कवरेज के हकदार नहीं हैं।

पीठ ने कहा, \“\“डॉक्टरों की सेवाओं की एक मांग है और यह संबंधित अधिनियम के प्रविधानों, महाराष्ट्र कोविड-19 रोकथाम एवं नियंत्रण विनियम 2020, नवी मुंबई नगर निगम के 31 मार्च 2020 के आदेश, पीएमजीकेवाई-पैकेज योजना, पीएमजीकेवाई नीति के स्पष्टीकरण संबंधी संचार और जारी किए गए \“अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों\“ (एफएक्यू) के संयुक्त अध्ययन से स्पष्ट है।\“\“

इसने कहा कि कानूनों और विनियमों का अनुपालन डाक्टरों की नियुक्ति में कोई कसर न छोड़ने के उद्देश्य से किया गया था और बीमा योजना का उद्देश्य अग्रिम पंक्ति में कार्यरत डाक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों को यह आश्वासन देना था कि देश उनके साथ है।

कोर्ट ने कहा कि पीएमजीकेवाई पैकेज के तहत किए गए व्यक्तिगत बीमा दावों पर कानून के अनुसार और सबूतों के आधार पर विचार किया जाएगा और फैसला सुनाया जाएगा। इसने आगे कहा, \“\“यह साबित करने का दायित्व दावेदार पर है कि मृत्यु कोविड-19 से संबंधित कर्तव्य निभाते हुए हुई और इसे विश्वसनीय सबूतों के आधार पर स्थापित किया जाना चाहिए।\“\“

सुप्रीम कोर्ट प्रदीप अरोड़ा और अन्य द्वारा बांबे हाईकोर्ट के 9 मार्च, 2021 के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि निजी अस्पतालों के कर्मचारी बीमा योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं, जब तक कि उनकी सेवाओं की मांग राज्य या केंद्र सरकार द्वारा न की गई हो।

यह याचिका किरण भास्कर सुरगड़े ने हाईकोर्ट में दायर की थी, जिनके पति का 2020 में कोविड-19 के कारण निधन हो गया था। उनके पति महाराष्ट्र के ठाणे में एक निजी क्लिनिक चलाते थे। बीमा कंपनी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत उनके दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उनके पति का क्लिनिक कोविड-19 अस्पताल के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं था।
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