cy520520 Publish time 2025-12-12 04:07:11

ISRO का अंतरिक्ष में डंका: 15 दिसंबर को बाहुबली रॉकेट होगा लॉन्च, क्या है इसकी खासियत?

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इसरो का सबसे शक्तिशाली राकेट है LVM3। सांकेतिक फोटो



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई कीर्तिमान रच चुका भारत अब अमेरिकी सेटेलाइट को कक्षा में पहुंचाने को तैयार है। इसरो का \“बाहुबली\“ राकेट एलवीएम3 अमेरिका के 6.5 टन वजनी सेटेलाइट ब्ल्यूबर्ड-6 के साथ 15 दिसंबर को अंतरिक्ष की उड़ान भरेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

लांच व्हीकल मार्क3(एलवीएम3) भारत का सबसे शक्तिशाली राकेट है। ब्ल्यूबर्ड-6 संचार उपग्रह है। इसे अमेरिका स्थित एएसटी स्पेस मोबाइल ने विकसित किया है। यह सबसे भारी कमर्शियल सेटेलाइट में से एक है।
15 दिसंबर को होगा अमेरिकी सेटेलाइट का लॉन्च

यह 19 अक्टूबर को अमेरिका से भारत पहुंचा था।एएसटी स्पेस मोबाइल ने बयान में कहा, ब्ल्यूबर्ड-6 को अमेरिका से लाइसेंस मिल चुका है। 15 दिसंबर को भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसकी लां¨चग निर्धारित है। लॉन्चिंग के बाद यह लगभग 2,400 वर्ग फीट में सबसे बड़ा कमर्शियल फेज्ड एरे प्रदर्शित करेगा।

यह ब्ल्यूबर्ड-1-5 की तुलना में 3.5 गुना बड़ा होगा। इसकी डाटा क्षमता 10 गुना अधिक होगी। इस लां¨चग से भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। ब्ल्यूबर्ड-6 की लां¨चग इसरो की कमर्शियल शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआइएल) के जरिये की जाएगी।
इससे पहले इसरो- नासा ने मिलकर लांच किया था निसार

इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जुलाई में संयुक्त परियोजना, नासा-इसरो ¨सथेटिक अपर्चर रडार (निसार) सेटेलाइट को लांच किया था। 1.5 अरब डालर की लागत वाला यह मिशन पृथ्वी की सतह की निगरानी में अभूतपूर्व बदलाव लाने वाला है।

निसार प्रत्येक 12 दिनों पर समूची पृथ्वी की भूमि व बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा। यह एक सेंटीमीटर स्तर तक की सटीक फोटो खींचने व प्रसारित करने में सक्षम है। इसमें नासा की तरफ से तैयार एल-बैंड और इसरो द्वारा विकसित एस-बैंड रडार लगाया गया है जिन्हें विश्व में सबसे उन्नत माना जा रहा है। यह तकनीक प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन व बाढ़ की रीयल-टाइम निगरानी में मदद करेगा।
इसरो का सबसे शक्तिशाली राकेट है LVM-3

बाहुबली प्रक्षेपण यान की खूबियां - जियो सिंक्रोनस सेटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी) एमके3 भी कहा जाता है- 8000 किलोग्राम तक के पेलोड अर्थ आर्बिट (एलईओ) में ले जाने में सक्षम - 4000 किलोग्राम वजन वाले पेलोड जियो¨सक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (जीटीओ) में ले जा सकता है।

2023 में चंद्र मिशन के दौरान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतर चुका है बाहुबली राकेट- तीन चरणों वाला यह राकेट पिछले महीने स्वदेशी संचार उपग्रह सीएमएस-03 को कक्षा में ले गया था। - 4,410 किलोग्राम वजनी सीएमएस-03 भारत का सबसे भारी स्वदेशी संचार उपग्रह है।

(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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