शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, सुपौल समेत 10 जिलों में मिड डे मील योजना में पायलट प्रोजेक्ट बंद
/file/upload/2025/12/6353791912172577623.webpजागरण संवाददाता, सुपौल। शिक्षा विभाग ने सुपौल समेत राज्य के 10 जिलों में चल रहे मध्याह्न भोजन योजना के पायलट प्रोजेक्ट (Mid-Day Meal Project Bihar) को बंद करने का निर्णय लिया है। यह पायलट प्रोजेक्ट विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना का संचालन प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षकों के बजाय विद्यालय के अन्य शिक्षकों के द्वारा कराया जा रहा था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जिले में मरौना और निर्मली प्रखंड में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था, परंतु अब इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, क्योंकि संचालन के दौरान कई गंभीर खामियां सामने आईं हैं।
इसको लेकर जारी आदेश में मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक विनायक मिश्र ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों से कहा है कि पायलट प्रोजेक्ट इसलिए शुरू किया गया था, ताकि विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और प्रधान शिक्षकों को मध्याह्न भोजन योजना के दैनिक संचालन के अतिरिक्त बोझ से मुक्त किया जा सके।
इससे वे शिक्षा संबंधी कार्यों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर सकें। इसके लिए जिले में व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक नियुक्त कर योजना के संचालन की जिम्मेदारी उन्हें दी गई थी। प्राप्त प्रतिवेदनों, समीक्षाओं और अनुभवों में पाया गया कि इन व्यवस्थापकों की उपस्थिति अनियमित रहती थी।
उनकी अनियमित उपस्थिति के कारण विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य बाधित होने लगे और विद्यालयों की गतिविधियां प्रभावित होने लगीं। यह भी ज्ञात हुआ कि कई विद्यालयों में व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक नियमित रूप से उपस्थित नहीं होते थे, जिससे स्कूलों को संचालन में कठिनाई हुई।
निदेशक ने निर्देश दिया है कि जहां-जहां यह व्यवस्था लागू है, उसे तत्काल बंद किया जाए। उन्होंने आगाह किया है कि पायलट प्रोजेक्ट अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है और भविष्य में भी इसे जारी रखने की अनुमति नहीं है। अब प्रधानाध्यापक और विद्यालय प्रबंधन द्वारा सीधे मध्याह्न भोजन योजना संचालन की व्यवस्था को ही बहाल रखने का निर्णय लिया है।
अब जिले के सभी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना का संचालन पूर्व व्यवस्था के अनुरूप ही किया जाएगा। जिलों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी विद्यालय में व्यवस्थापक या सहायक व्यवस्थापक के माध्यम से संचालित पायलट प्रोजेक्ट अब कहीं भी नहीं चले।
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