deltin33 Publish time 2025-12-13 01:07:38

मोहन सरकार के दो साल : सीएम की उपलब्धियों पर विपक्ष का पलटवार, पटवारी बोले- कर्ज बढ़ा, कुपोषण बढ़ा, फिर कैसा विकास?

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पत्रकारवर्ता के दौरान जीतू पटवारी, उमंग सिंघार व अन्य।



डिजिटल डेस्क, भोपाल। मप्र में मोहन सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर जहां मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सरकार की उपलब्धियां गिनाईं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने दो नहीं, बल्कि 22 साल का हिसाब मांगा।
पूछे तीखे सवाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पूछा कि विकास की जब इतनी गंगा बहने का दावा किया जा रहा है तो फिर शिक्षा के मंदिर स्कूल और कालेजों में शिक्षक क्यों नहीं हैं? अस्पताल डाक्टर और संसाधन विहीन क्यों बने हुए हैं? कानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल क्यों है? अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग पर अत्याचार की घटनाएं थमने के स्थान पर क्यों बढ़ती जा रही हैं? युवा के हाथों को काम क्यों नहीं है और किसान किस बात के लिए आंदोलित हैं? विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कर्ज बढ़ रहा, जंगल साफ हो रहे

राजधानी में लिंक रोड-1 पर स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित संयुक्त पत्रकारवार्ता में दोनों नेताओं ने कहा कि प्रदेश पर चार लाख 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। एक पेड़ मां के नाम का भावनात्मक नारा देकर पौधरोपण की बात होती है, लेकिन सिंगरौली में छह लाख पेड़ काटकर पूरा जंगल किसके लिए साफ किया जा रहा है।
इन मुद्दों पर भी घेरा

उन्होंने सरकार से सवाल किया कि 2013 में जहां एक करोड़ 59 लाख विद्यार्थी थे, वो घटकर एक करोड़ चार लाख क्यों रह गए? लोकायुक्त ने 269 अधिकारियों पर भ्रष्टाचार या पद के दुरुपयोग के प्रकरण दर्ज किए लेकिन सरकार अभियोजन की स्वीकृति नहीं दे रही है। लाड़ली बहना को तीन हजार, किसानों को उचित मूल्य और बेरोजगारों को रोजगार का जो वादा किया था, वह कहां है? 30.13 लाख करोड़ रुपये का निवेश कहां हैं?

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22 साल बाद भी राज्य कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था, कुपोषण, बेरोजगारी और अपराध से ही पहचाना जा रहा है। यह दो साल की विफलता नहीं, बल्कि पूरे शासन माडल की हार है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार ही प्रदेश में 6,467 डाक्टरों की कमी है। 40 प्रतिशत बच्चे ठिगनेपन और 26 प्रतिशत कम वजन के हैं। कुपोषण से निपटने के लिए बजट तो बढ़ा लेकिन कुपोषण कम नहीं हुआ। ओबीसी आरक्षण कागजों पर है। 13 प्रतिशत पद रोककर रखे हैं। स्थिति यह है कि सुप्रीम कोर्ट पूछ रहा है कि 27 प्रतिशत लागू क्यों नहीं।
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