ठंड और घने कोहरे से थमी रफ्तार: बदायूं में यातायात प्रभावित, किसानों के लिए राहत!
/file/upload/2025/12/400435210350595470.webpघने कोहरे के बीच गुजरते वाहन
जागरण संवाददाता, बदायूं। गुरुवार की रात से मौसम का मिजाज बदलना शुरू हो गया था। शहर के अंदर से लेकर हाईवे तक कोहरे की चादर बिछ गई। देर रात शुरू हुआ कोहरा शुक्रवार सुबह तक गिरना जारी रहा। इसके चलते दृश्यता बेहद कम हो गई। ठंड में बढ़ोत्तरी के चलते सुबह करीब नौ बजे तक लोग घरों में ही दुबके रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
जगह-जगह अलाव जलते दिखे, जिनके सहारे लोग ठंड से बचाव करते नजर आए। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक कोहरे का असर साफ दिखा, जबकि यातायात भी बुरी तरह प्रभावित रहा।हालांकि सुबह नौ बजे के बाद हल्की धूप निकली, लेकिन ठंडी हवाओं में वह बेअसर रही।इस दौरान तापमान 11 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
शुक्रवार सुबह एमएफ हाईवे, बरेली–मथुरा हाईवे, दिल्ली हाईवे समेत सभी प्रमुख मार्गों पर वाहन लाइट और इंडिकेटर के सहारे रेंगते हुए आगे बढ़ते दिखे। हाईवे पर सुबह के समय वाहनों की रफ्तार काफी धीमी रही, जिससे यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ा। सुबह स्कूल जाने वाले बच्चों को कड़ाके की ठंड और कम होती दृश्यता के कारण खासा कष्ट झेलना पड़ा।
घरों से निकलने पर लोगों को चेहरे पर कोहरा महसूस हो रहा था और हवा में नमी के कारण ठिठुरन बढ़ती चली गई। मौसम विभाग के अनुसार, बदायूं में शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 11 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। धूप निकलने के बाद भी दिन भर ठंडक का अहसास बना रहा, जबकि शाम होते-होते गलन और भी तेज हो गई।
सुबह करीब साढ़े नौ बजे हल्की धूप निकलने से लोगों को थोड़ी राहत मिली और दृश्यता में सुधार के बाद यातायात धीरे-धीरे सामान्य होने लगा। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि आगामी दिनों में कोहरा और बदली का असर जारी रहेगा। सुबह के समय घना कोहरा छाया रहेगा, जबकि दिन में हल्की धूप की संभावना है। वहीं शुक्रवार शाम होते होते शहर के बाहर मुख्य हाईवे पर फिर से कोहरा नजर आने लगा था।
किसानों के लिए राहत
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि कोहरा रबी फसलों के लिए काफी लाभप्रद होता है। गेहूं, सरसों और दलहन के लिए यह नमी का अच्छा स्रोत है, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और फसलों की बढ़वार अच्छी होती है।
हालांकि, अधिक समय तक बना रहने वाला कोहरा आलू, बैंगन और अमरूद जैसी फसलों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। लगातार कम तापमान की वजह से पाला पड़ने का खतरा भी बढ़ जाता है, जो संवेदनशील फसलों पर असर डाल सकता है।
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