cy520520 Publish time 2025-12-13 01:37:31

दिल्ली-NCR में प्रदूषण की चिंता है भी या नहीं? 10 साल से थर्मल पावर प्लांटों की चिमनियों की जांच नहीं हुई

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थर्मल प्लांट की चिमनी से निकलता धुआं। आर्काइव



राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। इसे प्रशासनिक लापरवाही कहें अथवा सरकारी हीलाहवाली... केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पिछले 10 वर्षों से दिल्ली के 300 किमी के दायरे में स्थित किसी भी थर्मल पावर प्लांट (टीपीपी) के चिमनी उत्सर्जन की जांच या पूरी निगरानी नहीं की है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

चिमनी उत्सर्जन निगरानी का तात्पर्य औद्योगिक चिमनियों से निकलने वाले प्रदूषकों के मापन और विश्लेषण से है, ताकि वायु प्रदूषण के स्तर और पर्यावरणीय मानदंडों के अनुपालन की पुष्टि की जा सके।

केंद्र सरकार ने 2015 में नियम लागू किए थे, जिनके तहत सभी थर्मल पावर प्लांटों को नियमित रूप से अपने उत्सर्जन की जांच और रिपोर्ट करना अनिवार्य था। इसमें चिमनी उत्सर्जन की विस्तृत निगरानी भी शामिल है।

हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ता अमित गुप्ता की आरटीआई के जवाब से पता चला है कि सीपीसीबी ने पिछले 10 वर्षों में राष्ट्रीय राजधानी के 300 किमी के दायरे में स्थित किसी भी कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र की चिमनी उत्सर्जन की पूरी निगरानी नहीं की है, जबकि ये संयंत्र सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) और पीएम 2.5 की महत्वपूर्ण मात्रा उत्सर्जित करते हैं।

आरटीआई के जवाब अनुसार, केवल दो संयंत्रों - हरियाणा में दीनबंधु छोटूराम थर्मल पावर स्टेशन और पंजाब में गुरु हरगोबिंद थर्मल पावर प्लांट - की आंशिक निगरानी की गई। सीपीसीबी ने कहा कि इन संयंत्रों की भी पूरी निगरानी, विश्लेषण और उत्सर्जन परिणामों की रिपोर्ट प्रस्तुत करना अभी बाकी है।

जवाब में आगे कहा गया है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 11 जुलाई, 2025 की अधिसूचना के अनुसार, सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन मानक केवल श्रेणी-ए थर्मल पावर प्लांटों के लिए अनिवार्य हैं।

दिल्ली के आसपास स्थित ऐसे चार प्लांटों में से - एनटीपीसी दादरी, महात्मा गांधी टीपीएस (झज्जर), इंदिरा गांधी एसटीपीएस (हिसार) और पानीपत टीपीएस - तीन ने प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियां स्थापित कर ली हैं, जबकि पानीपत प्लांट अभी भी मानकों का पालन नहीं कर रहा है। इसे मानकों को पूरा करने के लिए 31 दिसंबर, 2027 तक का समय दिया गया है।

आरटीआई के जवाब से यह भी पता चलता है कि प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन न करने पर इनमें से किसी भी प्लांट के खिलाफ न तो निगरानी की गई है और न ही कोई कार्रवाई शुरू की गई है।

मालूम हो कि कि थर्मल पावर प्लांटों से अनियंत्रित उत्सर्जन दिल्ली के पीएम2.5 स्तरों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। “हर सर्दी में दिल्ली में जहरीली हवा का प्रकोप होता है, ऐसे में लगभग एक दशक से व्यापक निगरानी का अभाव चिंताजनक है। प्रवर्तन स्पष्ट रूप से विफल रहा है।

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