cy520520 Publish time 2025-12-13 10:07:54

इंडिगो के मनमानेपन के खिलाफ तीन तरफ से कसा घेरा, चार फ्लाइट इंस्पेक्टरों को किया बर्खास्त

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सरकार ने एयरलाइन को 59 करोड़ के जीएसटी बकाये का नोटिस भी थमाया (फोटो- पीटीआई)



जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। इंडिगो द्वारा बड़े पैमाने पर उड़ानें रद किए जाने से लाखों यात्रियों को हुई परेशानी के बाद सरकार की सख्ती दिखने लगी है। इस क्रम में शुक्रवार को कड़ा कदम उठाते हुए डीजीसीए ने अपने चार फ्लाइट इंस्पेक्टरों को बर्खास्त कर दिया है। दूसरी तरफ, डीजीसीए के बाद प्रतिस्पर्धा आयोग ने भी इंडिगो मामले की जांच शुरू कर दी है। तीसरे कदम के तहत सरकार ने एयरलाइन को 59 करोड़ के जीएसटी बकाये का नोटिस भी थमा दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पार्ट-ए
डीजीसीए की बड़ी कार्रवाई, चार फ्लाइट इंस्पेक्टर हटाए गए

विमानन सुरक्षा नियामक डीजीसीए ने इंडिगो की उड़ानों में व्यापक व्यवधान के कारण चार फ्लाइट इंस्पेक्टरों को बर्खास्त कर दिया है। फ्लाइट इंस्पेक्टर डीजीसीए के वरिष्ठ अधिकारी होते हैं। इनके पास सुरक्षा और परिचालन मानकों की निगरानी की जिम्मेदारी होती है। ये अधिकारी नियामक मानकों को पूरा करने के लिए एयरलाइनों और कर्मियों का निरीक्षण, ऑडिट और प्रमाणन करके विमानन सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

डीजीसीए ने इंडिगो के मामले में निरीक्षण और निगरानी ड्यूटी में लापरवाही पाए जाने के बाद फ्लाइट इंस्पेक्टरों- ऋष राज चटर्जी, सीमा झमनानी, अनिल कुमार पोखरियाल और प्रियम कौशिक को हटा दिया। डीजीसीए का मानना है कि ये अधिकारी इंडिगो से नियमों का पालन करवाने में असफल रहे।

नियामक ने कहा कि अनुबंध के आधार पर कार्यरत चारों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से डीजीसीए से मुक्त किया जाता है और उन्हें उनके मूल संगठन में शामिल होने की अनुमति दी जाती है। इसके साथ ही नियामक ने एयरलाइन के संचालन पर कड़ी नजर रखने के लिए इंडिगो के गुरुग्राम कार्यालय में दो विशेष निगरानी दल तैनात किए हैं।

प्रेट्र के अनुसार, इंडिगो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर एल्बर्स और मुख्य परिचालन अधिकारी इसिड्रे पोरक्वेरास शुक्रवार को डीजीसीए द्वारा नियुक्त चार सदस्यीय जांच समिति के समक्ष दूसरी बार पेश हुए। दोनों अधिकारी अलग-अलग जांच समिति के सामने पेश हुए और उनसे क्रमश: सात घंटे और पांच घंटे पूछताछ हुई। इससे पहले गुरुवार को जांच समिति ने एल्बर्स से पूछताछ की थी।
पार्ट-बी
डीजीसीए के बाद प्रतिस्पर्धा आयोग ने भी शुरू की जांच

निष्पक्ष व्यापार नियामक संस्था भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) इस बात की जांच कर रहा है कि क्या देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो ने प्रतिस्पर्धा मानदंडों का उल्लंघन किया है।

यदि नियमों का उल्लंघन पाया गया तो प्रतिस्पर्धा आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकता है। इंडिगो की उड़ानों में भारी व्यवधान के कारण डीजीसीए की जांच पहले से चल रही है। डीजीसीए उड़ानों में व्यवधान की जांच करने के साथ-साथ इंडिगो के संचालन की निगरानी भी बढ़ा रहा है।

हालांकि, कुछ हलकों में इस बात को लेकर भी चिंता जताई जा रही है कि क्या घरेलू बाजार में एयरलाइन की मजबूत उपस्थिति भी इसका कारण हो सकती है? बताते चलें, घरेलू बाजार में इंडिगो की 65 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। दो दिसंबर से इसने हजारों उड़ानें रद कर दी हैं, जिससे लाखों यात्रियों को परेशानी हुई है।

एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग आंतरिक रूप से इस बात की जांच कर रहा है कि क्या इंडिगो ने प्रतिस्पर्धा मानदंडों का उल्लंघन किया है। समग्र आधिपत्य, विशिष्ट मार्गों पर वर्चस्व और प्रभुत्व के दुरुपयोग जैसे विभिन्न पहलुओं की जांच की जाएगी।

अधिकारी ने बताया कि इंडिगो के खिलाफ अभी तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। सीसीआइ स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच कर रही है कि क्या प्रतिस्पर्धा नियमों का उल्लंघन हुआ है।
पार्ट-सी
सरकार ने 59 करोड़ के जीएसटी बकाये का दिया नोटिस

इंडिगो को सीजीएसटी की बकाया देनदारी और जुर्माने के रूप में 59 करोड़ रुपये का नोटिस दिया गया है। यह नोटिस दक्षिण दिल्ली सीजीएसटी आयुक्त कार्यालय की तरफ से दिया गया है।

जागरण ब्यूरो के अनुसार, कंपनी ने इस मांग को चुनौती देने की बात कही है। शुक्रवार को जारी नियामक रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिगो पर जीएसटी से संबंधित लगभग 59 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
एयरलाइन पर 58.74 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है

सीजीएसटी आयुक्त ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए एयरलाइन पर 58.74 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। बीएसई को दी गई जानकारी में इंडिगो ने कहा है कि विभाग ने जुर्माने के साथ जीएसटी की मांग भी की है। कंपनी का कहना है कि हमारी नजर में अधिकारियों द्वारा जारी यह आदेश त्रुटिपूर्ण है। इसके अलावा हमारा मानना है कि टैक्स सलाहकारों की सलाह के आधार पर हमारा मामला मजबूत है।

एयरलाइन ने कहा कि वित्तीय स्थिति, परिचालन या अन्य गतिविधियों पर इसका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। इंडिगो ने बताया कि कंपनी के बोर्ड ने इस संकट के मूल कारणों को जानने व इससे जुड़ी विभिन्न प्रकार की जांच के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञ नियुक्त करने का फैसला किया है। विमानन सेक्टर के विशेषज्ञ कैप्टन जान इलसन को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है।
दिल्ली, बेंगलुरु हवाई अड्डों से 160 उड़ानें रद

प्रेट्र के अनुसार, एयरलाइन में जारी व्यवधानों के बीच इंडिगो ने शुक्रवार को दिल्ली और बेंगलुरु हवाई अड्डे से लगभग 160 उड़ानें रद्द कर दीं। गुरुवार को एयरलाइन ने इन दोनों हवाई अड्डों से 200 से अधिक उड़ानें रद की थीं। दिल्ली में 105 उड़ानें रद हुईं। इनमें 52 प्रस्थान और 53 आगमन की उड़ानें शामिल थीं।
पर्याप्त मुआवजे पर विचार कर रही सरकार

नागरिक उड्डयन मंत्रालय इंडिगो की तरफ से उड़ान रद करने के कारण परेशान यात्रियों को पर्याप्त मुआवजे पर भी विचार कर रहा है। इंडिगो ने परेशान होने वाले यात्रियों को 10-10 हजार के ट्रैवलिंग वाउचर देने का एलान किया है। मंत्रालय इस बात को देख रहा है कि यह वाउचर यात्रियों के लिए पर्याप्त है या नहीं।
हवाई किराये की सीमा तय करना एकमात्र समाधान नहीं : नायडू

नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने शुक्रवार को हवाई टिकटों की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताते हुए कहा कि असाधारण परिस्थितियों में हवाई किराए की सीमा तय करने का विशेष अधिकार सरकार के पास है, लेकिन यह एकमात्र समाधान नहीं है।

लोकसभा में एक निजी सदस्य के प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए मंत्री ने विमानों की अनुपलब्धता का भी जिक्र किया और बताया कि भारत में विमान बनाने के लिए बातचीत चल रही है। इस महीने की शुरुआत में इंडिगो की उड़ानों में व्यवधान के मद्देनजर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने घरेलू हवाई किराये पर दूरी के आधार पर सीमा तय कर दी थी।

नायडू ने कहा कि घरेलू हवाई टिकटों की कीमतें अन्य देशों के बराबर हैं और सरकार के लिए पूरे देश में हवाई किरायों की सीमा तय करना व्यावहारिक नहीं होगा।

बाजार पर नियंत्रण नहीं होने से अंतत: उपभोक्ताओंको लाभ पहुंचता है। हालांकि, त्योहारों के मौसम में टिकटों की कीमतें आमतौर पर बढ़ जाती हैं। मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि नागरिक उड्डयन क्षेत्र के विकास के लिए विनियमन में ढील देना अभी भी महत्वपूर्ण है।
हम नागरिक उड्डयन क्षेत्र का विकास चाहते हैं

यदि हम नागरिक उड्डयन क्षेत्र का विकास चाहते हैं, तो सबसे पहली और सबसे जरूरी शर्त है कि इसे विनियमन मुक्त रखा जाए, ताकि अधिक से अधिक कंपनियां बाजार में प्रवेश कर सकें। वैसे, विनियमन में ढील देने से एयरलाइंस को पूरी छूट नहीं मिल जाती और सरकार के पास जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप करने की शक्ति सुरक्षित रहती है।
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