बिहार में लड़कियों की तस्करी का खुलासा, देश-विदेश में हो रहीं सप्लाई; कैसे काम करता है सिंडिकेट?
/file/upload/2025/12/8092642846452935043.webpबिहार में लड़कियों की तस्करी का भंडाफोड़। फाइल फोटो
मीरा सिंह, मुजफ्फरपुर। पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल में छह माह पूर्व चाट की दुकान पर 14 वर्षीय किशोरी की मुलाकात एक युवक से हुई। प्रेम के जाल में फंसा शादी का झांसा देकर उसे दिल्ली ले जाकर देह व्यापार में धकेल दिया। स्वजन की तत्परता से उसको धंधेबाजों के चंगुल से मुक्त कराया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
मामला सिर्फ एक किशोरी का नहीं है। भारत-नेपाल के जिलों में लड़कियों के तस्करों का सिंडिकेट काम कर रहा है। बीते छह महीने में सीमावर्ती इलाकों से 100 लड़कियां लापता हुई हैं। इनमें 83 लड़कियां पूर्वी चंपारण की हैं। खासतौर से रक्सौल अनुमंडल की। इनमें से महज एक दर्जन को मुक्त कराया जा सका है।
मुक्त लड़कियों से मिली जानकारी चौंकाने वाली है। मानव तस्कर लड़कियों को दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि शहरों में ले जाकर देह व्यापार में धकेल देते हैं। दूसरे देशों में भी पहुंचा दिया जाता है।
इसे लेकर मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग व बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के अलावा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
ऐसे काम करता सिंडिकेट
मुक्त लड़कियों व इनकी रेस्क्यू के लिए काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था प्रयास के अनुसार तस्कर गिरोह के सदस्य नौकरी का प्रलोभन, प्रेम और शादी का झांसा देकर फंसाते हैं। धंधेबाजों के निशाने पर आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की लड़कियां होती हैं। धंधे में शामिल महिलाएं बिचौलिये का काम करती हैं।
महिलाओं का काम लड़कियों को सीमा पार करवाना होता है। उसके बदले उन्हें पैसे दिए जाते हैं। वहीं, ट्रेंड युवक लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसाते हैं। नौकरी और अच्छी लाइफ स्टाइल के प्रलोभन में फंसकर 15 से 18 वर्ष के बीच की लड़कियां घर से निकलती हैं। जबकि अफेयर के मामले में 12 से लेकर 18 साल तक की लड़कियां घर से भागती हैं।
लड़कियों को टारगेट करने के लिए इंटरनेट मीडिया का भी सहारा लिया जा रहा है। तस्कर पहले ऑनलाइन लड़कियों से दोस्ती करते हैं। उन्हें बड़े शहरों में अच्छी नौकरी और बेहतर जीवनशैली के सपने दिखाते हैं। इसमें गरीब ही नहीं, अच्छे परिवार की लड़कियां भी फंस रही हैं।
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