जब दहल उठी थी संसद, आतंकियों ने बनाया था लोकतंत्र के मंदिर को निशाना; 24 साल पुराना हमला आज भी डराता है
/file/upload/2025/12/8390841094176526290.webpआतंकी हमले की 24वीं बरसी। (फोटो- जागरण ग्राफिक्स)
अभिनव त्रिपाठी, नई दिल्ली। आज से 24 साल पहले का वो काला दिन, जब आतंकियों ने भारत की संसद को निशाना बनाया था। देश का हरेक नागरिक जब उस काले दिन को याद करता है, तो रूह कांप जाती है। 13 दिसंबर 2001 को कड़ाके की ठंड और संसद का शीतकालीन सत्र जारी था। इस खास दिन संसद के सदन के भीतर \“महिला आरक्षण बिल\“ को लेकर हंगामा हो रहा था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उस दिन सदन शुरू होते ही हंगामा हुआ और सदन स्थगित हो गया। तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी संसद भवन से निकल चुके थे। आम दिनों की तरह किसी को यह यकीन नहीं था कि कुछ देर बाद ही लोकतंत्र के केंद्र पर कोई बड़ा आतंकी हमला होगा। इस हमले ने देश की आत्मा को झकझोर कर रख दिया।
एंबेसडर कार से संसद परिसर में घुसे थे आंतकी
13 दिसंबर 2001 को सुबह के करीब 11.30 बजे एक सफेद एंबेसडर कार से संसद भवन के गेट नंबर 12 से प्रवेश की। इस कार ने फर्जी सुरक्षा स्टीकर लगा रखा था। इस कार में ही आतंकी सवार होकर आए थे। हालांकि, इस कार के प्रवेश करते ही कुछ सुरक्षाकर्मियों को शक हुआ और वे कार के पीछे दौड़ पड़े।
उपराष्ट्रपति के काफिले से टकराई थी आतंकियों की कार
इस दौरान आतंकियों की कार उपराष्ट्रपति के काफिले की गाड़ी से टकरा गई। टक्कर के दौरान ही कार सवार आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। जांच में पाया गया था कि आतंकियों के पास एक-47 समेत उस समय के कई आधुनिक हथियार थे। कुछ ही समय में पूरा संसद परिसर गोलियों की आवाज से दहल उठा। संसद परिसर में हुए इस आतंकी हमले के कारण वहां पर अफरा-तफरी मच गई। एजेंसियों ने तुरंत अलर्ट जारी किया और सीआरपीएफ की बटालियन ने मोर्चा संभाल लिया।
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बता दें कि जिस दौरान संसद भवन परिसर में गोलियां दागी जा रही थीं, उस दौरान कई सांसद और वरिष्ठ मंत्री संसद भवन के अंदर मौजूद थे। इसमें पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत अन्य लोग मौजूद थे। सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सभी को संसद परिसर के भीतर ही रहने को कहा गया। इसके बाद संसद को पूरी तरीके से सील कर दिया गया।
सुरक्षा बलों ने 6 आतंकियों को उतारा मौत के घाट
ठीक इसी समय एक आतंकी गेट नंबर 1 से सदन में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ा, हालांकि सुरक्षा बलों ने उसको वहीं ढेर कर दिया। बाद में चार आतंकी गेट नंबर 4 की ओर बढ़े। यहां पर सुरक्षाबलों से उनकी मुठभेड़ हुई और तीन को वहीं मार गिराया गया।
वहीं, एक आतंकी गेट नंबर पांच से सदन में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था, जहां पर वह सुरक्षाबलों की गोलियों का शिकार हो गया। सुबह के करीब 11.40 से शुरू हुई यह मुठभेड़ शाम के 4 बजे तक चली थी। सुरक्षा बलों ने सभी आतंकियों वहीं मार गिराया।
संसद पर हमले के दो दिन बाद ही 15 दिसंबर 2001 को अफजल गुरु, एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में मामले की सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी और अफशान को बरी कर दिया। वहीं, अफजल गुरु के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर उसे मौत की सजा दी गई। शौकत हुसैन की मौत की सजा घटाकर 10 साल की कैद कर दी गई। 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल फांसी दी गई थी।
कई सुरक्षाकर्मी हुए थे शहीद
गौरतलब है कि इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए थे। इसमें दिल्ली पुलिस के 5 बहादुर जवान, राज्यसभा सचिवालय के 2 कर्मचारी, सीआरपीएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी और एक माली ने अपनी जान गवाई थी। बता दें कि हमला भारत के इतिहास की गंभीर आतंकी घटनाओं में से एक माना जाता है।
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