cy520520 Publish time 2025-12-14 01:07:58

सुप्रीम कोर्ट के न‍िर्णयों का हवाला और हत्‍या का आरोपित बरी; पटना HC ने सुनाया अहम फैसला

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उम्र कैद की सजा पाए आरोप‍ित को पटना उच्‍च न्‍यायालय ने क‍िया बरी। जागरण आर्काइव



विधि संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने सिवान जिले के बहुचर्चित हत्या मामले में निचली अदालत द्वारा दी गई उम्रकैद की सजा को रद करते हुए आरोपी मुकेश पाल को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है।

न्यायाधीश बिबेक चौधरी और न्यायाधीश डॉ. अंशुमान की खंडपीठ ने अभियोजन साक्ष्यों में गंभीर विरोधाभास और जांच में खामियों को आधार बनाते हुए यह फैसला सुनाया।

मामला भगवानपुर हाट थाना कांड संख्या 59/2015 से जुड़ा है, जिसमें 2 अप्रैल 2015 को संजीव कुमार की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस मामले में मुकेश पाल जेल में बंद था।

सिवान स्थित ट्रायल कोर्ट ने 07.06.2019 को मुकेश पाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा दी थी।
ट्रायल कोर्ट के फैसले को दी गई थी चुनौती

इस फैसले को चुनौती देते हुए आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रतीक मिश्रा और शिवजी मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि प्राथमिकी में कथित प्रत्यक्षदर्शियों का उल्लेख नहीं है और उनके बयान दर्ज करने में अनावश्यक देरी हुई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

गवाहों के बयानों में गोली चलने की संख्या को लेकर विरोधाभास है, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में केवल एक ही गोली की चोट पाई गई। इसके अलावा, जांच के दौरान न तो खोखा जब्त किया गया और न ही घटनास्थल का स्केच मैप तैयार किया गया, जिससे अभियोजन की कहानी पर संदेह गहराता है।

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि संदेह, चाहे कितना भी मजबूत क्यों न हो, सबूत का स्थान नहीं ले सकता।

इन परिस्थितियों में अभियोजन आरोप सिद्ध करने में असफल रहा। परिणामस्वरूप, हाई कोर्ट ने सजा और दोषसिद्धि को रद्द करते हुए आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। 10 वर्षों बाद आरोप‍ित बरी हुआ है।
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