cy520520 Publish time 2025-12-14 01:37:49

ब्राह्मण बेटियों पर की थी असभ्य टिप्पणी, MP के IAS अधिकारी पर गिरी गाज; होगी कार्रवाई?

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राज्य सरकार ने संतोष वर्मा का चिट्ठा केंद्र को भेजा (फाइल फोटो)



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ब्राह्मण बेटियों को लेकर असभ्य टिप्पणी करने वाले मध्य प्रदेश के आईएएस अधिकारी और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रदेश अध्यक्ष संतोष वर्मा के विरुद्ध कार्रवाई के लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को लिखा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसमें संतोष द्वारा आइएएस संवर्ग में आने के लिए किए गए फर्जीवाड़े का ब्यौरा दिया गया है। मध्य प्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से 12 दिसंबर को केंद्र को भेजे इस पत्र की आखिरी लाइन है- \“छह अक्टूबर 2020 के जिस दोषमुक्ति आदेश के आधार पर संतोष वर्मा की संनिष्ठा प्रमाणित की गई थी, वह विद्यमान नहीं है। ऐसे में उनकी आइएएस में पदोन्नति द्वारा की गई नियुक्ति पर निर्णय लिया जाए।\“

उल्लेखनीय है कि संतोष वर्मा ने गत 23 नवंबर को भोपाल में आयोजित अजाक्स के सम्मेलन में कहा था कि आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता...। इस असभ्य टिप्पणी का विरोध किया जा रहा है।

विभिन्न सामाजिक और ब्राह्मण संगठन आंदोलन कर रहे हैं। इस बीच संतोष का राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति का कुछ वर्ष पुराना प्रकरण भी खुल गया। इसमें उन्होंने पदोन्नति पाने के लिए अपने ऊपर एक महिला द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के मामले में गलत न्यायालयी आदेश प्रस्तुत किए।

इन मामलों में उन्हें जेल भी जाना पड़ा और जमानत पर हैं। मामला न्यायालय में विचाराधीन है। शासन ने इसका अब संज्ञान लिया है। शासन ने केद्र को लिखे पत्र में एक-एक बिंदु बताए हैं। पत्र में यह भी कहा गया है विभिन्न संगठनों ने उनको बर्खास्त करने की मांग की है। संगठनों ने ज्ञापनों में कहा है कि उनके बोल से सामाजिक वैमनस्यता फैली है। इस तरह अब कार्रवाई केंद्र के पाले में है। हालांकि, राज्य सरकार ने संतोष वर्मा के विरुद्ध कार्रवाई की सीधी सिफारिश नहीं की है।
डीओपीटी को पदोन्नति और आपराधिक प्रकरण का दिया ब्योरा

शासन ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को संतोष वर्मा की पदोन्नति और आपराधिक प्रकरण का ब्योरा दिया है। इसमें बताया है कि पदोन्नति के समय उनके विरुद्ध अपराध क्रमांक 851/2016 लंबित होने के कारण उनकी संनिष्ठा प्रमाणित नहीं की जा सकी थी। इसके बावजूद चयन समिति की बैठक में उनका नाम अनंतिम रूप से शामिल किया गया।

छह अक्टूबर 2020 का एक न्यायालयीन आदेश प्रस्तुत किए जाने के आधार पर उन्हें दोषमुक्त बताया गया, इसी आधार पर छह नवंबर 2020 के आदेश पर उन्हें आइएएस अवार्ड किया गया। इस बीच मामले में शिकायत होने पर पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया कि छह अक्टूबर 2020 का न्यायालयीन आदेश वास्तव में पारित ही नहीं हुआ था। इसे फर्जी पाए जाने पर संतोष वर्मा के विरुद्ध अपराध क्रमांक 155/2021 दर्ज किया गया। पुलिस ने उन्हें 10 जुलाई 2021 को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत और उच्च न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद 27 जनवरी 2022 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिली।
शिकायत के बाद जांच की शुरू, गिरफ्तारी के बाद पुलिस अभिरक्षा में भी रहे वर्मा

28 अप्रैल 2021 को मुख्य सचिव को शिकायत की गई थी संतोष वर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग कर शासकीय दस्तावेजों में कूटकरण किया। लंबित प्रकरणों की झूठी जानकारी शासन एवं प्रशासन को देकर आइएएस अवार्ड प्राप्त किया। विभागीय अधिकारियों द्वारा आरोपित को असम्यक लाभ देकर आपराधिक कृत्य में सहयोग करने पर उचित जांच कर आइएएस अवार्ड निरस्त करने की मांग की गई थी।
न्यायालय में विचाराधीन है वर्मा का प्रकरण

वर्तमान में वर्मा के विरुद्ध प्रचलित आपराधिक प्रकरण क्रमांक 851/2016 न्यायालय में विचाराधीन है एवं उसमें कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया है। इसके अलावा तथाकथित न्यायालयीन आदेश पारित करने वाले न्यायाधीश विजेंद्र सिंह रावत को पुलिस विवेचना में फर्जी आदेश पारित करने में उनकी संलिप्तता प्रकट होने से निलंबित किया जा चुका है एवं उनके विरुद्ध अन्वेषण प्रचलित है।

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