deltin33 Publish time 2025-12-14 04:37:02

भारत मंडपम में 17वीं–19वीं सदी के युद्ध शस्त्रों ने रचा इतिहास, भवानी तलवार की सबसे ज्यादा होती रही चर्चा

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भारत मंडपम में आयोजित सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव की प्रदर्शनी में छत्रपति शिवाजी महाराज के काल के प्रदर्शित किए गए दुर्लभ और ऐतिहासिक शस्त्र। जागरण



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सनातन राष्ट्र शखनाद महोत्सव में आयोजित प्रदर्शनी में 17वीं शताब्दी से लेकर 19वीं शताब्दी तक के ऐतिहासिक और शिवा महाराज के काल के शानदार शस्त्रों को प्रदर्शित किया गया। इसमें छत्रपति शिवाजी महाराज की भवानी तलवार आकर्षण का केंद्र रही। वहीं, शिवाजी के बख्तर, मंगल पांडे की बंदूक, रानी लक्ष्मी बाई की तलवार, भाला, तोप, गोला, बारूद, गुर्ज और स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के रक्षकों के दुर्लभ शस्त्रों को भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। जो भारतीय शौर्य और समृद्ध सनातन संस्कृति की गौरव गाथा पेश कर रहे थे। इसके अलावा कुछ शस्त्रों पर साहस, शौर्य और संयम को परिभाषित करने वाले वैध व मंत्र भी उकेरे गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस प्रदर्शनी को देखने के लिए और भारतीय युद्ध कलाओं को समझने के लिए दर्शक भी उत्साहित नजर आए। प्रदर्शनी में प्रदर्शित प्रत्येक शस्त्र राष्ट्र रक्षा के दशकों पुराने इतिहास की कहानी को जीवंत कर रहे थे। वहीं, यहां आने वाला प्रत्येक व्यक्ति शास्त्रों के निर्माण की कहानी जानने के साथ ही उसकी विशेषता जानने के लिए सभागार में लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। वहीं, सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के अध्यक्ष ने बताया कि महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति का संरक्षण, राष्ट्र की सुरक्षा और आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शन करना था। जिसके तहत इन शस्त्रों को दिखाया गया है।

वहीं, राकेश धावडे ने बताया शस्त्रों के निर्माण की जटिलता को समझाते हुए कहा कि यह उनका पुश्तैनी काम है। उनकी 13 पीढ़ियां इन शस्त्रों के निर्माण का काम कर रही है। ऐसे शस्त्रों का जल्दबाजी में निर्माण नहीं किया जा सकता। ऐसे शस्त्रों के निर्माण के लिए लोहा सहित कई कठोर धातुओं को मिक्स कर आग में तपाया जाता है। फिर अन्य साधनों जैसे भैंस के सींग से बने मशीनों से घिसाई कर सही शेप दिया जाता है। तब जाकर यह शस्त्र तैयार होते हैं।

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