LHC0088 Publish time 2025-12-14 06:36:54

सर्दियों के दौरान भी राजधानी में नहीं जल रही पराली, दिल्ली सरकार ने गिनाई प्रदूषण नियंत्रण की उपलब्धियां

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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता। फाइल फोटो



राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सर्दी के दौरान इस बार कम हुईं पराली जलाने की घटनाओं को दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में अपनी उपलब्धि माना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा है कि इस साल शीत ऋतु के दौरान दिल्ली में पराली जलाने की एक भी घटना दर्ज नहीं हुई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने कहा है कि ऐसा दिल्ली सरकार की प्रदूषण नियंत्रण नीति को सख्ती से पालन कराने के साथ साथ पराली जलाने के दुष्परिणाम के बारे में किसानों को जागरुक करने से संभव हो सका है।
पूसा बायो-डीकम्पोज़र का कराया छिड़काव

दिल्ली सरकार से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में लगभग 7,000 एकड़ भूमि पर धान की खेती की गई थी। पराली जलाने की घटनाएं नहीं होने के लिए बेहतर पराली प्रबंधन भी माना गया है। पराली प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए धान की कटाई के बाद खेतों में पूसा बायो-डीकम्पोज़र का छिड़काव कराया गया।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) द्वारा विकसित यह बायो-डीकम्पोज़र पराली को खेत में ही सड़ाकर मिट्टी की उर्वरता और गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। यह सुविधा किसानों को पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध कराई गई।
स्थापित होंगे कस्टम हायरिंग सेंटर

मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में फसल अवशेष प्रबंधन को और सुदृढ़ बनाने के लिए विकास विभाग उत्तर और दक्षिण-पश्चिम जिलों में दो कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने की प्रक्रिया में है। इन केंद्रों के माध्यम से किसानों को पराली प्रबंधन से जुड़ी आवश्यक मशीनरी और उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे पराली जलाने की आवश्यकता पूरी तरह समाप्त हो सके।

सरकार के अनुसार निगरानी के लिए कृषि इकाई के मुख्यालय में एक विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया। किसानों को जागरुक करने के लिए धान की पराली प्रबंधन पर 25 किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गएएक अधिकारी ने बताया कि सीएम के निर्देश पर 24×7 कार्य करते हुए दैनिक समीक्षा की गई।

यह समीक्षा विकास आयुक्त शूरबीर सिंह द्वारा नियमित रूप से की गई, ताकि पराली या फसल अवशेष जलाने की किसी भी गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखी जा सके और किसी भी उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित हो।

इसके तहत कुल 11 टीमों को तैनात किया गया। ये टीमें उत्तरी, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम जिला के पांचों धान उत्पादक जिलों में 24×7 गश्त करती रहीं। इन टीमों ने खेतों में निगरानी के साथ-साथ किसानों को पराली जलाने के दुष्परिणामों के प्रति जागरुक भी किया।
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