LHC0088 Publish time 2025-12-14 22:07:55

परमार्थी सोच ने बचाए रखी भारत की प्राचीन संस्कृति, बिहार के राज्यपाल ने बताए पुरातन संस्कारों के महत्व

/file/upload/2025/12/3723756907474665109.webp

Bihar Raj Bhavan: भोजपुरिया कला हाट के दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन समारोह का उद़घाटन किया। जागरण



जागरण संवाददाता, बेतिया(पश्चिम चंपारण)। Indian traditions and values: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहा कि भारत की प्राचीन संस्कृति की निरंतरता इस लिए बनी हुई है कि यहां की संस्कृति मनुष्य को स्वार्थी नहीं, परमार्थी बनाती है।

यह भी सत्य है कि देश - दुनिया में ज्ञान और संस्कृति का पतन हो रहा है। ऐसे में संस्कार भारती लोगों को अपने पुरातन संस्कारों से परिचय करा रहा है, यह सराहनीय कदम है। वे रविवार को नगर के प्रेक्षागृह में संस्कार भारती की ओर से आयोजित भोजपुरिया कला हाट के दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन में बोल रहे थे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने स्वत्य विषय पर करीब 25 मिनट के संबोधन की शुरुआत संस्कृत के श्लोक से की। उन्होंने आदि शंकराचार्य रचित “निर्वाण षट्कम् श्लाेक के माध्यम से कहा कि मैं न मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार और न ही चित्त...मैं तो चैतन्य और आनंदस्वरूप शिव हूं।

/file/upload/2025/12/875364476972354095.jpg

आत्मा शुद्ध, निराकार और शाश्वत सत्ता का बोध कराता है, जो शरीर, इंद्रियों और पंचतत्त्वों से परे है।उन्होंने कहा कि दुनिया में विविध प्रकार की संस्कृति है। इसमें रंग , भाषा, आदि को लेकर प्रभुत्व दिखाया जाता है। जबकि भारत की संस्कृति आत्मा से परिभाषित होती है।

इस लिए हमारी संस्कृति एकात्मता को प्रदर्शित करती है। एक पत्थर को ठोकर मारने का अधिकार किसी को नहीं है। उन्होंने अभिभावक की तरह लोगों को आचरण पाठ पढ़ाया। कहा कि तपस्या किसी दूसरे रंग का कपड़ा पहनकर पेड़ के नीचे बैठने का नहीं है।

/file/upload/2025/12/2946617649553985478.jpg

हमारी संस्कृति कहती है कि ज्ञान अर्जन का निरंतर प्रयास होना चाहिए। हर दिन कुछ अच्छा करने की कोशिश होनी चाहिए। नया ज्ञान अर्जित होना चाहिए। समारोह में बतौर विशिष्ठ अतिथि के रुप में मौजूद सांसद ने जिले के सांस्कृतिक , एतिहासिक और धार्मिक विरासत से अवगत कराया। बताया कि यहां के किसान के निमंत्रण पर गांधी जी आए थे और चंपारण की आजादी की बुनियाद रखी गई ।


माता सीता की शरण स्थली यहीं है। बुृद्ध ने अपने वस्त्र यहीं पर त्यागे थे। ध्रुपद खराने की जड़ भी बेतिया राज से जुड़ी है। इसके पूर्व राज्यपाल ने कला हाट की प्रदर्शनी का अवलोक किया। जहां थरु़हट की कलाकृति एवं व्यंजन को सराहना।

समापन समारोह में जिले में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहे 17 लोगों को सम्मानित किया गया। थारु कलाकारों की ओर से झमटा नृत्य एवं मौसम गीत की प्रस्तुति की गई।
Pages: [1]
View full version: परमार्थी सोच ने बचाए रखी भारत की प्राचीन संस्कृति, बिहार के राज्यपाल ने बताए पुरातन संस्कारों के महत्व

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com