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Emerging Jharkhand Conclave में इंडस्ट्रीज लगाने पर जोर, JITA ने युवा प्रतिभाओं के पलायन पर जाहिर की चिंता

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इमर्जिंग झारखंड कांक्लेव का उद्घाटन करते बीसीसीएल के सीएमडी मनोज अग्रवाल व अन्य अतिथि।



जागरण संवाददाता, धनबाद। धनबाद के युवा बेहतर शिक्षा और करियर के अवसरों की तलाश में राज्य से बाहर जा रहे हैं मगर उनका वापस न लौटना अब एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक संकट का रूप लेता जा रहा है।

घर में सिर्फ वृद्ध माता-पिता रह जा रहे हैं जबकि शहर का आर्थिक आधार कोल इंडस्ट्री खुद चुनौतियों का सामना कर रही है। इन ज्वलंत समस्याओं पर गहन विचार-विमर्श के लिए गोविंदपुर स्थित राजविलास रिसोर्ट में आयोजित दो दिवसीय ‘इमर्जिंग झारखंड बिजनेस कांक्लेव’ के पहले दिन 13 दिसंबर झारखंड के भविष्य को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की गईं।

यह महत्वपूर्ण कांक्लेव झारखंड इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड एसोसिएशन (जीटा) और एल्यूर सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य झारखंड के सर्वांगीण विकास के लिए नए रोडमैप पर मंथन करना था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि बीसीसीएल के सीएमडी मनोज अग्रवाल, सिम्फर के डायरेक्टर एके मिश्रा, आईएसएम की प्रोफेसर शालिनी गुप्ता सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने दीप प्रज्वलित कर की।

जीटा के महासचिव राजीव शर्मा ने पलायन की त्रासदी को रेखांकित करते हुए कहा कि यह केवल तभी रुक सकता है जब धनबाद में पर्याप्त इंडस्ट्रीज लगाई जाए। उन्होंने बताया कि कोल इंडस्ट्रीज दबाव में हैं बावजूद इसके एक लाख लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।

उन्होंने अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रहने को मजबूर लगभग 10 लाख लोगों की दुर्दशा पर भी ध्यान आकर्षित किया और इन विकट समस्याओं से निपटने के लिए एक ठोस फ्यूचर प्लान की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

वहीं मुख्य अतिथि बीसीसीएल के सीएमडी मनोज अग्रवाल ने युवा पलायन को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता बताई। उन्होंने कोल सेक्टर के भविष्य पर एक महत्वपूर्ण चेतावनी देते हुए कहा कि आज नन-कोकिंग कोल काम कम हो रहा है और अनुमान है कि अगले 40 साल में कोकिंग कोल का प्रोडक्शन लगभग न के बराबर हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसकी जगह वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत लेगा जिसका सबसे बड़ा उदाहरण सोलर ऊर्जा है। सीएमडी ने सोलर ऊर्जा को एक बेहतर और लाभदायक कारोबार बताया उन्होंने कहा कि आज हजारों लोग इस कारोबार से जुड़कर सफलतापूर्वक अपनी जीविका चला रहे हैं।

उन्होंने धनबाद की मूल समस्याओं यानी रंगदारी और कोयला चोरी पर भी चिंता जाहिर की और इन्हें रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया।

विशिष्ट अतिथि डा. सुकुमार मिश्रा ने भी युवा प्रतिभा के पलायन को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि धनबाद की अर्थव्यवस्था का 40 प्रतिशत हिस्सा खनिज संसाधनों से आता है। जबकि सैकड़ों छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज भी अहम भूमिका निभा रही हैं।

उन्होंने कहा कि पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद अगर युवा बाहर जा रहे हैं तो यह सोचना होगा कि हम कहां चूक रहे हैं।

जीटा के नंदलाल अग्रवाल ने इस कांक्लेव को झारखंड की बढ़ती संभावनाओं, नवाचार और विकास को नई पहचान देने वाला मंच बताया। उन्होंने कहा कि यह जीटा का पहला प्रयास है और यह मंच बीसीसीएल, सेल और सभी व्यापारिक समुदायों के समन्वित प्रयास से ही झारखंड को विकास और आत्मनिर्भरता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उद्योगपति, स्टार्टअप फाउंडर, सामाजिक संगठन और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हुए। जिन्होंने उद्योग एवं व्यवसाय तथा खनन क्षेत्र जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया।
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