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किसान परिवार के बेटे शांतनु IMA की पासिंग आउट परेड के साथ बने सेना में अधिकारी, 87 वर्षीय दादी का सपना हुआ साकार

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किसान परिवार के बेटे शांतनु बने सेना में अधिकारी



जागरण संवाददाता, मेरठ। सपने जब संकल्प, परिश्रम और परिवार के सहयोग से जुड़ते हैं तो इतिहास रचते हैं। ऐसा ही प्रेरक उदाहरण बने हैं शांतनु पराशर, जिन्होंने कठिन परिश्रम और अटूट आत्मविश्वास के बल पर भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड के साथ भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त किया। यह गौरवपूर्ण क्षण न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे मेरठ जनपद के लिए गर्व का विषय है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

शांतनु मूल रूप से किसान परिवार से हैं। उनका पैतृक गांव रोहटा रोड पर घसौली है। वर्तमान में परिवार छावनी स्थित रेड क्वार्टर में रहता है। परिवार में सेना में अधिकारी बनने वाले वे पहले सदस्य हैं। शांतनु की इस उपलब्धि के पीछे उनकी 87 वर्षीय दादी का वर्षों पुराना सपना था कि उनका पोता सेना में अफसर बने। पोते की पीओपी के साथ दादी का यह सपना आखिरकार साकार हो गया।

शांतनु की शैक्षिक यात्रा में उन्होंने कक्षा 10 तक सेंट मेरीज अकादमी से प्राप्त की और 95 प्रतिशत अंक हासिल किए। इसके बाद कृष्णा पब्लिक स्कूल से कक्षा 11 व 12 की पढ़ाई की, जहां विज्ञान वर्ग में 96 प्रतिशत अंकों के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कक्षा 12 में पढ़ते हुए ही उन्होंने एनडीए की लिखित परीक्षा, एसएसबी और मेडिकल, तीनों को पहले प्रयास में सफलता पूर्वक उत्तीर्ण किया।

एनडीए खड़कवासला में तीन वर्षों की कठोर सैन्य प्रशिक्षण और स्नातक शिक्षा के बाद शांतनु का चयन आईएमए, देहरादून के लिए हुआ, जहां से उन्होंने अधिकारी बनकर देशसेवा की राह चुनी।

इस सफलता में परिवार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उनकी माता गृहिणी हैं और परिवार का मानना है कि बेटे की उपलब्धि का सम्पूर्ण श्रेय मां को जाता है, जिनके संस्कार और त्याग ने यह मुकाम दिलाया। शांतनु के ताऊ-ताई चिकित्सक हैं। ताऊजी सर्जन और ताईजी स्त्री रोग विशेषज्ञ। वहीं उनकी बहन डा. माला शर्मा ने प्रशिक्षण काल के दौरान समय-समय पर काउंसलिंग और निरंतर प्रेरणा देकर भाई का मनोबल ऊंचा बनाए रखा। डा. माला ने एमबीबीएस जुलाई में पूर्ण किया है और वर्तमान में नीट पीजी के माध्यम से स्पेशलाइजेशन की तैयारी कर रही हैं।

शांतनु के पिता सतीश शर्मा वर्तमान में शांति पब्लिक स्कूल में प्रधानाचार्य हैं। शिक्षा, अनुशासन और राष्ट्रसेवा का यह संगम ही शांतनु की सफलता की असली नींव बना।
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