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Jharkhand के लाखों विद्युत उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर, बिजली वितरण निगम ने नियामक आयोग को सौंपा रोडमैप

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झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने अपना महत्वाकांक्षी बिजनेस प्लान तैयार कर आयोग को सौंप दिया है।



-18,363 करोड़ रुपये के राजस्व की जरूरत, 70 लाख से ज्यादा कनेक्शन का अनुमान
-बढ़ती बिजली खरीद लागत के बीच सेवा गुणवत्ता और बिल पर रहेगी नजर
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2030-31 तक के लिए अपना महत्वाकांक्षी बिजनेस प्लान तैयार कर झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंप दिया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इस योजना के तहत निगम ने 2030-31 में 18,363.19 करोड़ रुपये के राजस्व की आवश्यकता जताई है, जबकि इसी अवधि में बिजली खरीद पर करीब 14,104.21 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

यह प्लान न सिर्फ वित्तीय प्रबंधन से जुड़ा है, बल्कि इसका सीधा असर राज्य के लाखों बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ने वाला है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में निगम को कुल 7,998.29 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।

इसमें घरेलू उपभोक्ताओं से 4,404.29 करोड़ रुपये की वसूली हुई, जो यह दर्शाता है कि निगम की आय का सबसे मजबूत आधार आम जनता है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल एचटी श्रेणी से 2,169.93 करोड़, कामर्शियल उपभोक्ताओं से 900.42 करोड़, इंडस्ट्रियल एलटी से 284.02 करोड़, रेलवे से 128.08 करोड़ और अन्य स्रोतों से 111.53 करोड़ रुपये की आय हुई।

बिजनेस प्लान के अनुसार, आने वाले वर्षों में राजस्व जरूरत में लगातार बढ़ोतरी होगी। 2026-27 में जहां निगम को 12,678.17 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, वहीं यह आंकड़ा 2027-28 में 14,040.91 करोड़, 2028-29 में 15,403.93 करोड़, 2029-30 में 16,846.60 करोड़ और 2030-31 में 18,363.19 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।

इसी तरह बिजली खरीद की लागत भी 2026-27 में 9,836.89 करोड़ रुपये से बढ़कर 2030-31 में 14,104.21 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। उपभोक्ता भी तबतक बढ़ जाएंगे।

आने वाले वर्षों में यह बढ़कर करीब 59.87 लाख घरेलू, 7.60 लाख कामर्शियल, 2.76 लाख कृषि, 61,995 इंडस्ट्रियल एलटी, 3,921 इंडस्ट्रियल एचटी, 1,400 स्ट्रीट लाइट और 4,122 ईवी श्रेणी के उपभोक्ता शामिल बढ़ेंगे।
घरेलू उपभोक्ताओं की संख्या हो जाएगी लगभग 71 लाख

अगर घरेलू उपभोक्ता संख्या की तुलना करें तो वर्तमान में राज्य में करीब 59 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। 2030-31 तक यह संख्या 12 लाख बढ़कर 70.92 लाख हो जाएगी। यानी हर साल औसतन दो लाख नए उपभोक्ता जुड़ेंगे।

इसमें गांवों के नए घरेलू कनेक्शन, कृषि उपभोक्ता, स्ट्रीट लाइट और ईवी चार्जिंग जैसे नए सेक्टर शामिल होंगे। यह विस्तार एक तरफ बिजली पहुंच बढ़ाने का संकेत है तो दूसरी तरफ व्यवस्था पर दबाव भी बढ़ाएगा।
बिल और सेवा पर क्या फर्क पड़ेगा?

तुलनात्मक रूप से देखें तो जब खर्च और जरूरतें तेजी से बढ़ती हैं तो उसका असर या तो टैरिफ या वसूली की सख्ती या फिर सरकारी सब्सिडी पर पड़ता है। यह निगम के बेहतर प्रबंधन और घाटा नियंत्रण के बीच संतुलन बनाएगा।

साथ ही बढ़ती लागत के मुकाबले उपभोक्ताओं को बेहतर सप्लाई, कम कटौती और तेज शिकायत निवारण की उम्मीद भी रहेगी।
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