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हाईवे पर भयावह दुर्घटनाएं रोकने के लिए दिशा-निर्देश दे सकता है SC, शीर्ष अदालत ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

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शीर्ष अदालत ने सरकार से मांगी रिपोर्ट (फाइल फोटो)



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में हाईवे पर भयावह हादसों को रोकने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने का संकेत दिया है। कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह रिपोर्ट दाखिल कर बताए कि इस संबंध में मौजूदा नियम-कानून क्या कहते हैं, ऐसी घटनाओं पर क्या कार्रवाई हो सकती है और कार्रवाई करने की किसकी जिम्मेदारी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ये निर्देश जस्टिस जेके माहेश्वरी और विजय कुमार बिश्नोई की पीठ ने हाईवे पर भीषण हादसों के मामले में सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट राजस्थान के फालौदी और तेलंगाना-बीजापुर हाईवे पर भीषण सड़क हादसों के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा था।
कहां कितनी मौत हुई?

राजस्थान के फालौदी में दो नवंबर को एक टेंपो ट्रैवलर के खड़े ट्रक से टकरा जाने के बाद कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई थी। तीन नवंबर को तेलंगाना-बीजापुर हाईवे पर हुए हादसे में 20 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी।

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने राजस्थान और तेलंगाना सरकार से दो सप्ताह में रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) और राजमार्ग व परिवहन मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वह दोनों एक्सप्रेस हाईवे का सर्वे करके रिपोर्ट दे और बताए कि हाईवे के किनारे कितने अनधिकृत ढाबे हैं।

सोमवार को जब यह मामला सुनवाई पर आया तो एनएचएआइ की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने जवाब दाखिल कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह व्यापक दिशा-निर्देश तय करेगा, ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों। राजमार्ग के दोनों ओर स्थित अनधिकृत ढाबे ऐसे हादसों का कारण हो सकते हैं।

कोर्ट जानना चाहता है कि ऐसे भोजनालयों या ढाबों के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में नियम-कानून क्या कहते हैं? पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह रिपोर्ट दाखिल कर यह बताएं कि कौन इसके लिए जिम्मेदार है और अब तक क्या कार्रवाई की गई है? कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है?

मेहता ने कहा कि वह इस मामले को प्रतिकूल मुकदमेबाजी की तरह नहीं ले रहे। उन्होंने एनएचएआइ की ओर से कहा कि उसे हाईवे पर स्थित अनधिकृत ढाबे हटाने का अधिकार है, लेकिन स्थानीय स्तर पर यह जिलाधिकारी के तहत आता है। ऐसे में उसे देखना होगा कि इसका हल कैसे निकाला जाए।
पीठ ने क्या कहा?

मेहता ने यह भी कहा कि वैसे हाईवे के किनारे सर्विस रोड होती है, जहां खराब वाहन खड़े किए जा सकते हैं। मेहता यह बात इसलिए कही, क्योंकि पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने खराब वाहनों के हाईवे पर खड़े रहने को भी दुर्घटनाओं का कारण माना था। लेकिन पीठ के न्यायाधीश जस्टिस विश्नोई ने कहा कि हर हाईवे के किनारे सर्विस रोड नही होती और वहां दोनों ओर अनधिकृत ढाबे होते हैं, जहां वाहन रुकते हैं और कई बार दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

पीठ ने कहा कि एनएचएआइ ने अपनी रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन और स्थानीय ठेकेदारों पर आरोप लगाया है, लेकिन कोर्ट जानना चाहता है कि नियम-कानून में किस अथारिटी की जिम्मेदारी है। मामले में फरवरी में फिर सुनवाई होगी।

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