1971 के भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के वीर योद्धाओं ने मनवाया था लोहा, 248 लाल हुए थे बलिदान
/file/upload/2025/12/758502211878236061.webpगांधी पार्क स्थित शहीद स्मारक।
जागरण संवाददाता, देहरादून : उत्तराखंड के वीर योद्धाओं ने समय-समय पर अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया है। वर्ष 1971 के युद्ध की बात करें तो भारतीय सेना की इस विजय गाथा में उत्तराखंड के रणबांकुरों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। इस युद्ध में उत्तराखंड के 248 रणबांकुरों ने बलिदान दिया था। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रण में दुश्मन से मोर्चा लेते हुए उत्तराखंड के 78 सैनिक घायल हुए। इन रणबांकुरों के अदम्य साहस का लोहा पूरी दुनिया ने माना। इस जंग में दुश्मन सेना से दो-दो हाथ करने वाले सूबे के 74 जांबाजों को वीरता पदक मिले थे।
शौर्य और साहस की यह गाथा आज भी भावी पीढ़ी में जोश भरती है। इतिहास गवाह है कि वर्ष 1971 में हुए युद्ध में दुश्मन सेना को नाकों चने चबवाने में उत्तराखंड के जवान पीछे नहीं रहे।
तत्कालीन सेनाध्यक्ष सैम मानेकशा (बाद में फील्ड मार्शल) और बांग्लादेश में पूर्वी कमान का नेतृत्व करने वाले सैन्य कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने भी प्रदेश के वीर जवानों के साहस को सलाम किया।
बलिदानियों की संख्या
[*]अल्मोड़ा-23
[*]बागेश्वर-24
[*]चंपावत-08
[*]चमोली-31
[*]देहरादून-42
[*]हरिद्वार-00
[*]लैंसडौन-19
[*]नैनीताल-12
[*]पौड़ी-19
[*]पिथौरागढ़-51
[*]रुद्रप्रयाग-01
[*]टिहरी-10
[*]ऊधम सिंह नगर-07
[*]उत्तरकाशी-01
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