सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधार के लिए लागू हुआ ‘पिलर फ्रेमवर्क’, पांच चरण में चलेगी शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार प्रक्रिया
/file/upload/2025/12/6123072346572312284.webpराज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को बेहतर बनाने और शिक्षकों व शिक्षा अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए शिक्षा विभाग ने ‘पिलर फ्रेमवर्क’ को लागू किया है। यह फ्रेमवर्क स्कूलों की जमीनी जरूरतों को समझकर काम करने की एक सरल और व्यावहारिक व्यवस्था है, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता में लगातार सुधार किया जा सकेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पिलर फ्रेमवर्क के तहत काम को पांच आसान चरणों में बांटा गया है। पहले चरण ‘प्लान परपोजफुली’ (उद्देश्यपूर्ण योजना) में खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) मिलकर हर महीने स्कूलों के भ्रमण की योजना बनाएंगे।
कमजोर प्रदर्शन वाले स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी और हर दौरे का उद्देश्य पहले से तय होगा। समय के सही उपयोग के लिए 40-20-40-20 माडल अपनाया जाएगा। दूसरे चरण ‘इंक्वायरी एंड आब्जर्व’ (जांच और अवलोकन) में कक्षा में पढ़ाई की स्थिति देखी जाएगी।
यह परखा जाएगा कि शिक्षकों को मिला प्रशिक्षण कक्षा में कितना असर दिखा रहा है। टीएलएम (शिक्षण सहायक सामग्री), आइसीटी के उपयोग और बच्चों की सीखने की स्थिति पर भी ध्यान दिया जाएगा। तीसरे चरण ‘लिसन एंड लर्न’ (सुनना और सीखना) में शिक्षकों की समस्याओं, अनुभवों और सुझावों को ध्यान से सुना जाएगा।
चर्चा के माध्यम से समस्याओं की जड़ तक पहुंचने की कोशिश होगी। चौथे चरण ‘लीड एक्शन’ (तत्काल कार्रवाई) में जहां संभव होगा, वहीं तुरंत समाधान दिया जाएगा। स्कूल, संकुल और बीईओ स्तर पर समस्याएं सुलझाई जाएंगी। बड़ी समस्याओं को राज्य स्तर तक भेजा जाएगा।
पांचवें चरण ‘एनालाइज एंड ट्रैक प्रोग्रेस’ में प्रगति की समीक्षा की जाएगी और अंत में ‘रिफ्लेक्ट एंड रीप्लान’ के तहत आत्ममंथन कर आगे की योजना बनाई जाएगी।
अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी जिलों में इसके क्रियान्वयन पर जोर दिया है। उनका कहना है कि इस फ्रेमवर्क से स्कूलों की पढ़ाई बेहतर होगी, बच्चों की सीखने की क्षमता बढ़ेगी और शिक्षा व्यवस्था अधिक मजबूत और जवाबदेह बनेगी।
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