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पुलिसिया दहशत या अनदेखी, थानों-चौकियों के मीटर नहीं हुए स्मार्ट, UPPCL के निर्देशों के बावजूद पूरा नहीं हो सका लक्ष्य

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धर्मेश शुक्ला, लखीमपुर। अब इसे पुलिसिया दहशत कहें या फिर बिजली विभाग की अनदेखी जिले के एक थाने या फ फिर पुलिस चौकी का बिजली मीटर स्मार्ट नहीं हो सका। या फिर ऐसे कहें कि जिले में सरकारी थानों और पुलिस चौकियों में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया कागजों में लिपट कर बस्ता खामोशी में चली गई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

जिले में कुल 28 पुलिस थाने और 50 पुलिस चौकियां संचालित हैं। इन सभी स्थानों पर बिजली कनेक्शन तो उपलब्ध है, लेकिन अधिकांश थानों और चौकियों में अब तक बिजली मीटर ही स्थापित नहीं किए जा सके हैं। इससे न केवल बिजली खपत का सही आकलन संभव नहीं हो पा रहा, बल्कि सरकारी निर्देशों की भी खुली अनदेखी सामने आ रही है।

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष डा. आशीष गोयल द्वारा फरवरी 2025 में स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे कि सभी सरकारी कार्यालयों, भवनों और संस्थानों में स्मार्ट मीटर अनिवार्य रूप से लगाए जाएं। इन निर्देशों में पुलिस थाने और चौकियां भी शामिल थीं। उद्देश्य यह था कि बिजली चोरी पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके और सरकारी परिसरों में पारदर्शी बिलिंग व्यवस्था लागू हो।

यूपीपीसीएल ने 31 मार्च 2025 तक सभी सरकारी परिसरों में स्मार्ट मीटर इंस्टालेशन का लक्ष्य तय किया था। लेकिन तय समय सीमा बीत जाने के बाद भी जिले में स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। केवल कुछ चुनिंदा चौकियों में ही स्मार्ट मीटर लगाए जा सके हैं, जबकि अधिकांश थाने आज भी बिना मीटर के बिजली का उपयोग कर रहे हैं।

स्थानीय स्तर पर अधिकारियों का कहना है कि प्रक्रिया चल रही है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट दिखाई देती है। मीटर न होने के कारण बिजली खपत का रिकार्ड अनुमान के आधार पर तैयार किया जा रहा है, जिससे राजस्व नुकसान की आशंका भी बनी हुई है।

वहीं, आम उपभोक्ताओं पर सख्ती और सरकारी संस्थानों में ढिलाई को लेकर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना यह है कि जिम्मेदार विभाग कब तक इस सुस्ती को दूर कर पाता है और स्मार्ट मीटर योजना को वास्तव में अमल में लाया जाता है, ताकि सरकारी तंत्र में भी जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

शहर से ज्यादा गांवों कस्बों को प्राथमिकता

अब इसका का कारण क्या है ये तो नहीं पता लेकिन बिजली विभाग के वे ठेकेदार जिनके कंधों पर स्मार्ट मीटर लगाने की जिम्मेदारी है वह शासनादेश का खुला मजाक बना रहे हैं। आदेश कहता है कि पहले शहर और सरकारी दफ्तरों को आच्छादित किया जाए, लेकिन वो गांव की ओर भाग रहे हैं फिर वहां खीरी टाउन जैसे हालत हैं कि मीटर लगाने का जोरदार विरोध हो जाता है।
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